English, asked by pratik1999likhitkar, 9 months ago

मृदा के भौतिक गुण बताइए

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Answered by Anonymous
9

Answer:

मृदा (Soil) के कणों के आकार के अनुसार भौतिक गुणों में मिट्टियाँ निम्न प्रकार की होती हैं:

(1) बलुई मिट्टी (Sandy Soil):

इस मिट्टी में बालू की अधिक मात्रा होती है, जिनके बीच वायु (Air) प्रचुर मात्रा में रहती है । यह मिट्टी जल (Water) बहुत तेजी के साथ सोखती है, किंतु जल तीव्रता के साथ रिस (Percolate) कर नीचे चला जाता है ।

) दोमट मिट्टी (Loamy Soil):

इस मिट्टी में बालू (Sand) एवं चिकनी मिट्टी (Clay) के कणों का लगभग बराबर मिश्रण होता है । यह मिट्टी पौधों की वृद्धि के लिए सर्वोत्तम होती है । इस मिट्टी के कणों में बहुत अधिक जल धारण क्षमता होती है ।

चिकनी मिट्टी (Clay Soil):

इस मिट्टी (Soil) में कण (Particles) महीन होते हैं और पास-पास स्थित होने के कारण मिट्टी (Soil) कठोर (Hard) हो जाती है । इस मिट्टी में वायु अवकाश (Air Spaces) कम होते हैं, जिसके कारण वायु (Air) का सुचारू रूप से संचय (Store) नहीं होता है तथा ये मिट्टी शीघ्र ही जल संतृप्त (Water Saturated) हो जाती है ।

Answered by Snehu01
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Answer:

A) भौतिक गुण (Physical Properties):

मृदा (Soil) के कणों के आकार के अनुसार भौतिक गुणों में मिट्टियाँ निम्न प्रकार की होती हैं:

(1) बलुई मिट्टी (Sandy Soil):

इस मिट्टी में बालू की अधिक मात्रा होती है, जिनके बीच वायु (Air) प्रचुर मात्रा में रहती है । यह मिट्टी जल (Water) बहुत तेजी के साथ सोखती है, किंतु जल तीव्रता के साथ रिस (Percolate) कर नीचे चला जाता है ।

अर्थात् इस मिट्टी के कणों में जल धारण क्षमता (Water Holding Capacity) बहुत कम होती है । बालू (Sand) के कणों में खनिज लवण (Mineral Salt) भी नहीं रुक पाते हैं । अत: यह मिट्टी पौधों के लिए उपयोगी नहीं होती है ।

इस मिट्टी (Soil) में लगभग 70 से 80 प्रतिशत तक रेत और लगभग 10 प्रतिशत प्रत्येक के अनुपात से एल्यूमीनियम सिलीकेट (Aluminium Silicate) के कण होते हैं । इसमें पोषक तत्व भी बहुत कम होते हैं ।

(2) दोमट मिट्टी (Loamy Soil):

इस मिट्टी में बालू (Sand) एवं चिकनी मिट्टी (Clay) के कणों का लगभग बराबर मिश्रण होता है । यह मिट्टी पौधों की वृद्धि के लिए सर्वोत्तम होती है । इस मिट्टी के कणों में बहुत अधिक जल धारण क्षमता होती है ।

यह पानी (Water) की पर्याप्त मात्रा को रोके रहती है और इसमें वायु (Air) संचार भी भली-भाँति होता है । इस मिट्टी के कोशिकत्व (Capillary) विधि द्वारा जल (Water) पौधे की जड़ों (Roots) से प्राप्त होता रहता है ।

(3) चिकनी मिट्टी (Clay Soil):

इस मिट्टी (Soil) में कण (Particles) महीन होते हैं और पास-पास स्थित होने के कारण मिट्टी (Soil) कठोर (Hard) हो जाती है । इस मिट्टी में वायु अवकाश (Air Spaces) कम होते हैं, जिसके कारण वायु (Air) का सुचारू रूप से संचय (Store) नहीं होता है तथा ये मिट्टी शीघ्र ही जल संतृप्त (Water Saturated) हो जाती है ।

मिट्टी (Soil) के कणों (Particles) में जल धारण (Water Holding) क्षमता कम होती है और इससे होकर जल आसानी से नीचे की ओर रिसता नहीं है । ये मिट्टी (Soil) पौधों (Plants) के लिए अधिक उपयोगी नही होती है ।

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