मैथिलीशरण गुप्त के भाव पक्ष की विशेषताओं का वर्णन करें
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मैथिलीशरण गुप्त के भाव पक्ष की विशेषताओं का वर्णन
मैथिलीशरण गुप्त के काव्य का भाव अधिकतर राष्ट्रीयता से ओत-प्रोत रहा है। उनके काव्य में प्राकृतिक सौंदर्य की भी प्रधानता रही है। मैथिली शरण गुप्त के काव्य में अधिकतर देशभक्ति की भावना प्रधानता से रही है। उन्होंने भारत के गौरवमयी इतिहास और भारतीय संस्कृति का बड़ी ओजस्वी पूर्ण शैली में वर्णन किया है। इसके अतिरिक्त उनके काव्य में सामान्य जनजीवन को भी पर्याप्त स्थान मिला है। उन्होंने नारी पर आधारित अनेक काव्यों की रचना की है जिसमें उन्होंने नारी की व्यथा और नारी शक्ति को यथोचित महत्व प्रदान किया है। मैथिलीशरण गुप्त जी ने प्रबंध काव्य और मुक्तक काव्य दोनों तरह के काव्यों की रचना की और उन्होंने अपने काव्य में अलंकारों का भी पूरी तत्परता और सुंदरता के साथ प्रयोग किया है।
मैथिलीशरण गुप्त जी के प्राकृतिक सौंदर्य के भाव से भरपूय काव्य की कुछ पंक्तियांं....
चारुचंद्र की चंचल किरणें, खेल रहीं हैं जल थल में,
स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है अवनि और अम्बरतल में।
पुलक प्रकट करती है धरती, हरित तृणों की नोकों से,
मानों झीम[1] रहे हैं तरु भी, मन्द पवन के झोंकों से॥
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