मैथिली शरण गुप्त के कार्य सौष्ठव पर प्रकाश डालिए
Answers
गुप्त जी के काव्य में राष्ट्रीयता और गांधीवाद की प्रधानता है। इसमें भारत के गौरवमय अतीत के इतिहास और भारतीय संस्कृति की महत्ता का ओजपूर्ण प्रतिपादन है। आपने अपने काव्य में पारिवारिक जीवन को भी यथोचित महत्ता प्रदान की है और नारी मात्र को विशेष महत्व प्रदान किया है। गुप्त जी ने प्रबंध काव्य तथा मुक्तक काव्य दोनों की रचना की। शब्द शक्तियों तथा अलंकारों के सक्षम प्रयोग के साथ मुहावरों का भी प्रयोग किया है।
भारत भारती में देश की वर्तमान दुर्दशा पर क्षोभ प्रकट करते हुए कवि ने देश के अतीत का अत्यंत गौरव और श्रद्धा के साथ गुणगान किया। भारत श्रेष्ठ था, है और सदैव रहेगा का भाव इन पंक्तियों में गुंजायमान है-
भूलोक का गौरव, प्रकृति का पुण्य लीला-स्थल कहाँ?
फैला मनोहर गिरि हिमालय और गंगाजल कहाँ?
संपूर्ण देशों से अधिक किस देश का उत्कर्ष है?
उसका कि जो ऋषि भूमि है, वह कौन, भारतवर्ष है।
मैथलीशरण गुप्त को आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी का मार्गदर्शन प्राप्त था । आचार्य द्विवेदी उन्हें कविता लिखने के लिए प्रेरित करते थे, उनकी रचनाओं में संशोधन करके अपनी पत्रिका सरस्वती में प्रकाशित करते थे । मैथलीशरण गुप्त की पहली खड़ी बोली की कविता हेमंत शीर्षक से सरस्वती (१९०७ ई०) में छपी थी ।
mark it as brainliest and follow me.
मैथिली शरण गुप्त के कार्य सौष्ठव -
- मैथिली शरण गुप्त को आधुनिक काल का सबसे प्रतिष्ठित कवि माना जाता है। वह खादी बोली हिंदी के अग्रदूत थे और उन्होंने अपनी रचनाओं को इसी भाषा में लिखा था।
- उनमें देशभक्ति की भावना है और यह उनके कार्यों में देखा जा सकता है। "भारत भारती" पुस्तक देशभक्ति सामग्री का संग्रह है।
- अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा उनकी पुस्तकों की पंक्तियों को उद्धृत किया गया था।
- उन्हें महात्मा गांधी द्वारा "राष्ट्रकवि" की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
- उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में साकेत, गुरुकुल, यशोधरा, प्लासी का युद्ध आदि प्रमुख हैं।