मैथिलीशरण गुप्त की राष्ट्रीय चेतना पर प्रकाश डालिए
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Explanation: हिंदी साहित्य के द्विवेदी युग के प्रमुख रचनाकारों में शुमार रहे मैथिलीशरण गुप्त राष्ट्रीय चेतना के प्रमुख संवाहक थे। उनकी प्रसिद्ध काव्य कृतियों में भारत भारती, साकेत, पंचवटी, सिद्धराज आदि हैं।
श्री गुप्त की जयंती पर शुक्रवार को मड़या स्थित राहुल सांकृत्यायन स्मृति केंद्र के सभागार में आयोजित गोष्ठी में प्रमुख वक्ताओं ने उक्त बातें कही। वक्ताओं ने श्री गुप्त की उक्त कृतियों का उल्लेख करते हुए उन्हें राष्ट्रीय भावनायुक्त एवं भारतीय संस्कृति का एक युग बताते हुए कहा कि भारतीय संग्राम को साहित्य के माध्यम से गति प्रदान करने में उन्होंने अपना अमूल्य योगदान दिया था। वक्ताओं ने यह भी कहा कि श्री गुप्त की एक कालजई रचना भारत भारतीय है। राष्ट्रीय उद्बोधन से भरपूर इस काव्य कृति को स्वतंत्रता आंदोलन तक ब्रिटिश सरकार ने प्रतिबंधित कर रखा था। जब देश स्वतंत्र हुआ तो श्री गुप्त को राष्ट्रीय कवि की पद्वी प्रदान की गई। वक्ताओं ने साकेत के अंतर्गत उर्मिला प्रकरण पर चर्चा करते हुए कहा कि इस काव्य के अन्य कवियों ने उर्मिला के प्रति उपेक्षा बरती है किंतु श्री गुप्त ने इस कमी को पूरा कर दिया।
इस अवसर पर अमरनाथ तिवारी, डॉ. कन्हैया सिंह, प्रभुनारायण पांडेय प्रेमी, सुरेंद्र कुमार सिंह, सुभाष चंद तिवारी, निशिथ रंजन तिवारी, शिशिर रंजन आदि उपस्थित थे।
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