मैथिलीशरण गुप्त स्वाधीनता संग्राम पर कविता
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मस्तक ऊँचा हुआ मही का, धन्य हिमालय का उत्कर्ष। हरि का क्रीड़ा-क्षेत्र हमारा, भूमि-भाग्य-सा भारतवर्ष॥ पाकर प्रथम प्रकाश जगत ने इसका ही अनुसरण किया। देवों ने रज सिर पर रक्खी, दैत्यों का हिल गया हिया!
HOPE IT WILL HELP YOU
MARK ME AS BRAINLIEST
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ममता ने कहा कि वह अकाउंट से जोड़कर देखा जा सकता
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