मैथिली शरण गुप्त द्वारा रचित कविता एकता का भावार्थ लिखिए
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वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे। मनुष्यता कविता का भावार्थ : प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने दानी एवं उदार व्यक्ति का गुणगान किया है। मैथिलीशरण गुप्त जी के अनुसार जो मनुष्य दानी एवं उदार होते हैं और इस विश्व में एकता तथा अखंडता का भाव फैलाते हैं, उन्हें सदैव याद किया जाता है एवं उनका गुणगान किया जाता है।
"एकता" नामक कविता मैथिली शरण गुप्त द्वारा लिखी गई है।
इस कविता में एकता के महत्व को व्यक्त करते हुए समाज में सभी वर्गों को एक साथ रहने की जरूरत बताई गई है। कवि ने इस कविता में यह बताया है कि जहां एकता होती है वहां सभी लोग सुख और शांति से रहते हैं। वहां कोई अलग नहीं होता है और सभी लोग एक-दूसरे का सम्मान करते हैं। कवि ने यह भी बताया है कि एकता ही ऐसी शक्ति है जो हमें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति करने में मदद करती है।
कवि ने इस कविता में एकता को एक संगीत की तरह वर्णित किया है जिसमें सभी तार एक साथ मिलकर एक अद्भुत संगीत बनाते हैं। वहां सभी लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर एक मजबूत समुदाय बनाते हैं जो दूसरों के साथ भी एकता और सद्भाव के साथ रहते हैं। इस कविता में कवि ने एकता के महत्व को बताते हुए समस्याओं से निपटने के लिए सभी लोगों को मिलकर काम करने की आवश्यकता को उजागर किया है।
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