मृदा में कुल कितने स्तर पाए जाते हैं
(क)2
(ख) 3
(ग)
(घ) 7
Answers
मृदा में कुल 3 स्तर पाए जाते हैं I
पृथ्वी के ऊपरी सतह पर मोटे, मध्यम और बारीक कार्बनिक तथा अकार्बनिक मिश्रित कणों को 'मृदा' मिट्टी कहते हैं। ऊपरी सतह पर से मिट्टी हटाने पर प्राय: चट्टान (शैल) पाई जाती है। कभी कभी थोड़ी गहराई पर ही चट्टान मिल जाती है।
'मृदा विज्ञान' (Pedology) भौतिक भूगोल की एक प्रमुख शाखा है जिसमें मृदा के निर्माण, उसकी विशेषताओं एवं धरातल पर उसके वितरण का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता हैं। पृथ्वी की ऊपरी सतह के कणों को ही ( छोटे या बडे) soil कहा जाता है I
(ख) 3
संस्तर की भौतिक और रासायनिक विशेषताओं के आधार पर ही मृदा की पहचान की जाती है, जैसे मृदा के सबसे ऊपरी जैविक परत को ‘O संस्तर’ कहते हैं।
इन जैविक संस्तरों का निर्माण पौधों एवं जंतुओं से प्राप्त जैविक पदार्थों के संचयन से होता है।
‘O संस्तर’ के नीचे ‘A संस्तर‘ पाया जाता है। इसको कई उपभागों में विभाजित किया जाता है। ‘A संस्तर’ की जिस परत में ह्यूमस की मात्र अधिक होती है, उसे ‘A1- उपसंस्तर’ कहते हैं, जिसका रंग गाढ़ा होने के साथ, पोषक तत्त्वों की अधिकता के कारण कृषि की दृष्टि से अधिक उपयोगी होता है।
‘A- संस्तर’ के ‘A2- उपसंस्तर’ में अपवाहन की दर अधिक होने के कारण पोषक तत्त्वों का अभाव होता है, जिसके कारण ‘A2- उपसंस्तर’ का रंग हल्का होता है। अतः इसे ‘अपवाहन क्षेत्र’ (Zone of Illuviation) भी कहते है।
A3, B1 तथा B3- उपसंस्तरों को ‘संक्रमण संस्तर’ कहते हैं, क्योंकि यहाँ एक साथ दो संस्तरों की विशेषताएँ देखने को मिलती हैं।
मृदा की सबसे निचली परत को ‘C-संस्तर‘ कहते हैं, जहाँ मृदा निर्माणकारी प्रक्रिया का आंशिक प्रभाव होने के कारण मृदा का पूर्णतः विकास नहीं हो पाता है, लेकिन कालांतर में ‘C-संस्तर‘, ‘B संस्तर’ में परिवर्तित हो जाता है।
इसी प्रकार अन्य संस्तरों के परिवर्तन से ही मृदा की मोटाई में वृद्धि होती जाती है।