मीठे मीठे सपने देखने वाले लोग अकमरण्य होते है पदबंध पहचािनए
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1. संज्ञा पदबंध –
वाक्य में संज्ञा -पदों की जगह प्रयुक्त होने वाला पदबंध संज्ञा पदबंध कहलाता है। स्वाभाविक रूप से संज्ञा-पदबंध के साथ भी संज्ञा-पदबंध की तरह कारक-चिह्नों का प्रयोग होता है। उदाहरणार्थ –
(1) सामने के मकान में रहने वाला लङका आज चला गया।
(2) स्वागतार्थ आए हुए लोगों से घिर हुए श्रीकृष्ण ने नगर में प्रवेश किया।
(3) पास के घर में रहने वाला व्यक्ति मेरा परिचित है।
(4) देश के लिए मर मिटने वाला व्यक्ति देशभक्त होता है।
(5) दशरथ पुत्र राम ने रावण को मार डाला।
(6) वह बूढ़ा आदमी शीला का प्रति है।
2. सर्वनाम पदबंध –
वाक्य में सर्वनाम पद का कार्य करने वाले पदबंध ’सर्वनाम’ पदबंध कहलाते हैं।
(1) शेर की तरह दहाङने वाले तुम काँप क्यों रहे हो ?
(2) बङी शेखियाँ बघारने वाला वह आज मुँह की खाए बैठा है।
(3) है यहाँ ऐसा कोई! जो इस शेर को पकङ ले।
(4) तकदीर का मारा मैं कहाँ आ पहुँचा?
(5) चोट चाए हुए भला तुम क्या खेलोगे?
3. विशेषण पदबंध –
जो पदबंध संज्ञा या सर्वनाम के विशेषण के रूप में प्रयुक्त होते हैं उन्हंे विशेषण पदबंध कहा जाता है। विशेषण पदबंध में एक पदबंध शीर्ष पद पर स्थित होता है तथा शेष पद प्रविशेषण बनकर प्रयुक्त होते हैं। जैसे – कपिल बहुत अच्छा खिलाङी है। यहाँ ’बहुत अच्छा’ विशेषण पदबंध है क्योंकि यह खिलाङी की विशेषता प्रकट करता है। ’अच्छा’ शीर्ष पद है तथा ’बहुत’ प्रविशेषण ’अच्छा’ की विशेषता प्रकट कर रहा है।
उदाहरण –
(1) तुम उसे किताबों का कीङा कहते हों।
(2) जोर-जोर से चिल्लाने वाले तुम अब चुप क्यों हो?
(3) मीठे-मीठे सपने देखने वाले लोग अकर्मण्य होते हैं।
(4) तुम उसे काम चोर कहते हों।
(5) सस्ता खरीदा हुआ कपङा नहीं चलता।
विशेष -उद्देश्य विशेषण संज्ञा पदबंध या सर्वनाम पदबंध के ही अंग होते हैं।
जैसे-मोहन का भाई सोहन (संज्ञा पदबंध)
मोहन का भाई (विशेषण पदबंध)
जोर-जोर से चिल्लाने वाले तुम (सर्वनाम पदबंध)
जोर-जोर से चिल्लाने वाले (विशेषण पदबंध)
विधेय विशेषण पदबंध अवश्य ही स्वतंत्र रूप में प्रयुक्त होते हैं।
प्रेमचंद सम्पूर्ण कहानियाँ
जैसे –
(1) मोहन सबसे अधिक परिश्रमी छात्र है।
(2) यहाँ के अध्यापक परिश्रमी, प्रतिभावान तथा गुणवान हैं।
4. क्रिया पदबंध –
एक से अधिक क्रिया-पद मिलकर जहाँ क्रिया का कार्य समाप्त करते हैं, वहाँ क्रिया पदबंध होता है।
जैसे – ’मुझे सुनाई पङ रहा है।’
यहाँ ’सुनाई पङ रहा है’ पदबंध ’क्रिया पदबंध’ का कार्य कर रहा है।
अतः क्रिया पदबंध है।
उदाहरण –
(1) मैं लिख सकता हूँ।
(2) विद्यार्थी पढ़कर सो गए हैं।
(3) अब तो हम से चला भी नहीं जा रहा है।
(4) नाव पानी में डूबती चली गई।
(5) हरि को घर सो जाना चाहिये था।
(6) श्याम खाना पका सकता है।
क्रिया पदबंध में मुख्य क्रिया शीर्ष पद पर होती है। शेष पद जैसे – रंजक क्रिया, समापिका क्रिया तथा संयोजी क्रिया उस पर आश्रित होते है। क्रिया विशेषण भी मुख्य क्रिया का आश्रित बनकर प्रयोग होता है। अतः क्रिया पर आधारित होता है।
जैसे-
(1) बालिका नाचती है
(2) मैं चल सकता हूँ
(3) छात्र थककर चूर हो गया।
(4) यहाँ तो लिखा ही नहीं जाता।
(5) देखो, कहीं खो न जाओ।
(6) शीला हारकर मजबूर हो गयी।
5. क्रिया विशेषण पदबंध –
’’क्रिया विशेषण के स्थान पर प्रयोग होने वाले एकाधिक पदों का समूह क्रिया विशेषण पदबंध कहलाता है।’’
जैसे – सोहन बहुत धीरे-धीरे बोलता है। यहाँ बहुत धीरे-धीरे क्रिया विशेषण पदबंध है क्योंकि यह बोलना क्रिया की विशेषता बतलाता है। इसमें धीरे क्रिया विशेषण शीर्ष पद है तथा बहुत आश्रित पद है।
उदाहरण –
(1) पिछले दिनों की अपेक्षा आज गर्मी अधिक है।
(2) आगरा से अलीगढ़ तक एक लंबा मार्ग है।
(3) श्याम पहले की अपेक्षा बहुत तेज दौङा।
(4) कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है।
(5) राजू देखता हुआ धीरे-धीरे दुकानदार के पास पहुँचा।
पदबंध और उपवाक्य में भिन्नता – उपवाक्य भी पदबंध के समान पदों का समूह है लेकिन इससे अपूर्ण भाव ही प्रकट होता है।
पदबंध में क्रिया नहीं होती जबकि उपवाक्य में क्रिया रहती है।
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मीठेमीठेसपनेदेखनेवाले लोग अकर्मण्र्म य होता हैl रेखांकि त पदबधं