मैदानी इलाकों में वे पहाड़ी इलाकों में बने मकानों में क्या-क्या भिन्नता है??
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Answer:
मैदानी इलाकों में घर बनाने की जो तकनीक इस्तेमाल की जाती है, वह पहाड़ों पर घर बनाने से बहुत अलग होती हैं. पहाड़ी इलाकों में घर बनाना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है
Explanation:
पहाड़ी इलाके में निर्माण की मुख्य चुनौतियों में से एक होता है जगह का चुनाव. कुछ बातों का आपको ध्यान रखना जरूरी है. जैसे- जगह भूस्खलन के कारण कमजोर ढलान या चट्टानी ढांचे पर तो स्थित नहीं है. अगर यहां आप निर्माण करा रहे हैं तो बेहद सावधानी बरतनी होगी. सेंटर ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन जियोलॉजी के प्रोफेसर बीएस कोटलिया ने कहा, ''जिन इलाकों में बिना रुके भारी बारिश होती है (100मिमी से लेकर 120 मिमी प्रति घंटे) उसे बादल फटना कहा जाता है. यह भी देखना चाहिए कि इलाका किसी ऊंची पहाड़ी के आधारीय हिस्से में न बसा हो, जहां मिट्टी ढीली हो और कठोर चट्टानें गायब हों. ऐसे में आसपास की खड़ी पहाड़ियों से बचना चाहिए क्योंकि यह जगह दुर्घटनाओं के लिहाज से ज्यादा संवेदनशील है. दोनों ही स्थितियों से बचा जाना चाहिए.
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पहाड़ी इलाकों में बने मकान :
- इन मकानो के निचे बड़े बड़े खम्बे लगाये जाते है ताकि पहाड़ी ढ़लान पर घर टिका रहे |
- यह घर बरसात मे टिके रेहने के लिये इनकी छतो को टेढा बनाया जाता है |
मैदानी इलाकों में बने मकान :
- इन मकानो की सतह समतल होती है |
- इनकी छते भी समतल बनायी जाती हैं |