Hindi, asked by Nishantkumar8725, 10 months ago

मैदान में सभा न होने देने के लिए पुलिस बंदोबस्त का विवरण देते हुए सुभाष बाबू के जुलूस और उनके साथ पुलिस के व्यव्हार की चर्चा कीजिए I

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Answered by shishir303
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26 जनवरी 1931 के दिन कोलकाता वासियों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन रहा था, क्योंकि इसी दिन ठीक एक साल पहले यानी 26 जनवरी 1930 को ही देश का स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था और देश में सभी लोगों ने अपने अपने घरों पर राष्ट्रीय झंडा तिरंगा फहराया था। लोग इस दिन की पुनरावृत्ति करना चाहते इस लिये इस दिन की काफी दिनों से तैयारी चल रही थी।

26 जनवरी 1931 का दिन भी ऐसा ही हुआ और लोगों ने अपने-अपने घरों में राष्ट्रीय झंडा तिरंगा फहरा कर आजादी फहराया और सबके घरों में फहरा हुआ तिरंगा देख कर ऐसा लग रहा था कि मानो भारत को वास्तव में आजादी मिल गई हो।

सुभाष बाबू के नेतृत्व में नगर में जुलूस निकाला जा रहा था। जुलूस बहुत विशाल था और इस जुलूस में महिलाओं ने भी पुरुषों के साथ कदम ताल मिलाकर साथ दिया था। जब पुरुषों के जुलूस को पुलिस ने रोक दिया तो महिलाओं ने अलग-अलग टोलियों में बंटकर जुलूस निकालने का जिम्मा ले लिया। धर्म तले के मोड़ पर महिलाओं ने धरना दे दिया और उनमें से कई महिलाओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उसके बावजूद भी महिलायें अडिग होकर कर आगे बढ़ती रहीं और लाल बाजार आते आते कई लोगों पर लाठियां बरसाई गई।  लोग घायल होकर भी आगे बढ़ते रहे और लाल बाजार पर आकर ही दम लिया। पुलिस ने लाठी चार्ज करके जुलूस को रोकने का भरसक प्रयत्न किया। लाला बाजार पर आकर जुलूस समाप्त हो गया।

Answered by rayalakshit421
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Answer:                                            

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