मृदा निर्माण में सहायक कारकों का उल्लेख कीजिए।
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धरातल पर प्राकृतिक तत्त्वों के समुच्चय जिसमें जीवित पदार्थ तथा पौधों को पोषित करने की क्षमता होती है, मृदा कहलाती है। मृदा एक परिवर्तनशील एवं विकासोन्मुख तत्त्व है जिसकी बहुत-सी विशेषताएँ मौसम के साथ बदलती रहती हैं।
Explanation:
मृदा निर्माण की प्रक्रिया
मृदा निर्माण की प्रक्रिया सर्वप्रथम अपक्षय की प्रक्रिया से शुरू होती है। अपक्षय या अपरदन के कारकों का चट्टानों में विघटन होता है। चट्टान के अपक्षयित पदार्थों के रंध्रों में कुछ वायुमंडलीय गैसों, जैसे- नाइट्रोजन, ऑक्सीजन आदि का समावेश हो जाता है। वर्षा वाले क्षेत्रों में इन रंध्रों में जल प्रवेश कर जाता है जिससे इनमें कई निकृष्ट पौधे, जैसे- काई, लाइकेन उगने लगते हैं। इन निक्षेपों के अंदर कई सूक्ष्मजीव भी आश्रम प्राप्त कर लेते हैं।
जीव एवं पौधे के मृत अवशेष ह्यूमस के एकत्रीकरण में सहायक होते हैं। प्रारंभ में सूक्ष्म घास एवं फर्न की वृद्धि होती है, बाद में पक्षियों द्वारा लाए गए बीजों से वृक्ष एवं झाडि़याँ उगने लगती हैं। पौधों की जड़ें नीचे तक घुस जाती हैं। बिल बनाने वाले जानवर कणों को ऊपर लाते हैं, जिससे पदार्थों का अंबार छिद्रमय एवं स्पंज की तरह हो जाता है। इस प्रकार जल धारण करने की क्षमता, वायु के प्रवेश आदि के कारण अंततः परिपक्व, खनिज एवं जीव-उत्पाद युक्त मृदा का निर्माण होता है।
मृदा का निर्माण पाँच मूल कारकों द्वारा नियंत्रित होता है-
जलवायु मृदा निर्माण का सबसे महत्त्वपूर्ण सक्रिय कारक है। मृदा के विकास में संलग्न विभिन्न जलवायवी तत्त्व हैं- वर्षा, वाष्पीकरण की बारंबारता व अवधि तथा आर्द्रता एवं तापक्रम।
मृदा निर्माण में शैल एक निष्क्रिय नियंत्रक कारक है। मृदा निर्माण के गठन व संरचना, शैल निक्षेप के खनिज एवं रासायनिक संयोजन पर निर्भर करती है। जिन स्थानों पर मृदाएँ नई होती हैं अर्थात् परिपक्व नहीं होती हैं, वहाँ की मृदाओं का मूल शैलों के साथ घनिष्ठ संबंध होता है।
मूल शैल की भाँति स्थलाकृति भी एक दूसरा निष्क्रिय नियंत्रक कारक है। तीव्र ढालों वाले क्षेत्र में मृदा छिछली तथा सपाट क्षेत्र में मृदा गहरी व मोटी होती है। निम्न ढाल वाली स्थलाकृतियों में जहाँ अपरदन मंद तथा जल का परिश्रवण अच्छा रहता है, मृदा निर्माण के लिये बहुत अनुकूल होता है।
जैविक क्रियाएँ मृदा एवं जैव पदार्थ, नमी धारण की क्षमता तथा नाइट्रोजन इत्यादि जोड़ने में सहायक होती हैं। मृत पौधे मृदा को सूक्ष्म विभाजित जैव पदार्थ ह्यूमस प्रदान करते हैं। बैक्टीरियल कार्य की गहनता ठंडी एवं गर्म जलवायु की मिट्टियों में अंतर को दर्शाती है।
मृदा निर्माण में समय एवं अन्य महत्त्वपूर्ण कारक है। मृदा निर्माण की विभिन्न प्रक्रियाओं में लगने वाले समय की अवधि मृदा की परिपक्वता एवं उसके पाश्विक (Profile) के विकास का निर्धारण करती है।