Social Sciences, asked by saleemhina558, 5 days ago

मीठे पानी के स्रोतों को खत्म होने के बाद पृथ्वी पर जीवन एक विषय लिखें​

Answers

Answered by richajain01
0

Explanation:

इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। मीठा जल अथवा ताजा जल प्राकृतिक रूप से पृथ्वी पर पाया जाने वाला वह पानी है जो समुद्री और समुद्रतटीय लैगूनों के नमक मिश्रित जल से अलग है। इसे ऐसे जल के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें 0.5 भाग प्रति हजार से कम लवण घुले हुए हों।

Answered by ABHAYgoswam62
0

Answer:

पानी की कमी की बात करते ही एक बात हमेशा सामने आती है कि दुनिया में कहीं भी पानी की कमी नहीं है। दुनिया के दो तिहाई हिस्से में तो पानी ही पानी भरा है तो भला कमी कैसे होगी। यहां ये बताना जरूरी होगा कि मानवीय जीवन जिस पानी से चलता है उसकी मात्रा पूरी दुनिया में पांच से दस फीसदी से ज्यादा नहीं है। नदियां सूख रही हैं। ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं। झीलें और तालाब लुप्त हो चुके हैं। कुएं, कुंड और बावडियों का रखरखाव नहीं होता। भूगर्भीय जल का स्तर तेजी से कम होता जा रहा है। हालत सचमुच चिंताजनक है-आखिर किस ओर बढ़ रहे हैं हम। पूरी दुनिया को नापने वाला नासा के सेटेलाइट के आंकड़ें कहते हैं कि अब भी चेता और पानी को बचा लो...अन्यथा पूरी धरती बंजर हो जाएगी। लेकिन दुनिया से पहले अपनी बात करते हैं यानि अपने देश की। जिसके बारे में विश्व बैंक की रिपोर्ट का कहना है कि अगले कुछ सालों यानि करीब-करीब दो दशकों के बाद भारत में पानी को लेकर त्राहि-त्राहि मचने वाली है। सब कुछ होगा लेकिन हलक के नीचे दो घूंट पानी के उतारना ही मुश्किल हो जाएगा।

भाई हजारों साल पहले देश में जितना पानी था वो तो बढ़ा नहीं, स्रोत बढ़े नहीं लेकिन जनसंख्या कई गुना बढ़ गई। मांग उससे ज्यादा बढ़ गई। पानी के स्रोत भी अक्षय नहीं हैं, लिहाजा उन्हें भी एक दिन खत्म होना है। विश्व बैंक की रिपोर्ट को लेकर बहुत से नाक-भौं सिकोड़ सकते हैं, उसे कामर्शियल दबावों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों की साजिश से जोडकर देख सकते हैं। उन्हें लग सकता है कि अपनी इस रिपोर्ट के जरिए हो सकता है कि यूरोपीय देशों का पैरवीकार माना जाने वाला विश्व बैंक कोई नई गोटियां बिठाना चाहता हो। लेकिन इस रिपोर्ट से अपने देश के तमाम विशेषज्ञ इत्तफाक रखते हैं। पर्यावरणविज्ञानी चिल्ला-चिल्ला कर कहते रहे हैं कि पानी को बचाओ।

ये बात सही है कि जैयरे और कनाडा के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा पानी भारत में है। अभी भी समय है कि हम चेतें और अपने पानी के स्रोतों को अक्षय ही बनाए रखें। एक सदी पहले हम देशी तरीके से पानी का ज्यादा बेहतर संरक्षण करते थे। लेकिन नई जीवनशैली के नाम पर हम उन सब बातों को भूल गये। हम भूल गये कि कुछ ही दशक पहले तक हमारी नदियों में कल-कल करके शुद्ध जल बहता था। अब ऐसा नहीं रहा। तथाकथित विकास की दौड़ में शुद्ध पानी और इसके स्रोत प्रदूषित होते चले गये। अनियोजित और नासमझी से भरे विकास ने नदियों को प्रदूषित और विषाक्त कर दिया।

Similar questions