Social Sciences, asked by al8476762, 6 months ago

मृदा परिच्छेदिका का वर्णन चित्र सहित करो​

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Answered by 98reenasat
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मृदा परिच्छेदिका– क्षैतिज मृदा स्तरों के क्रम एवं आकृति को मृदा चरिच्छेदिका (प्रोफाइल) कहते हैं अर्थात् ऊपरी धरातल से लेकर नीचे स्थित अंतरिक्ष (unweathered material) तक भूमि की ऊर्ध्व काट मृदा परिच्छेदिका कहलाती है। विभिन्न प्रकारों की मृदाओं के प्रोफाइलों में भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुण भिन्न होते हैं।

मृदा परिच्छेदिका में स्तरों की प्रकृति एवं विकास की तीव्रता निम्न बातों पर निर्भर करती है

(i) मूल पदार्थों का संगठन। (ii) भूमि निर्माण के लिए मिला समय (iii) जलवायु

(iv) स्थान विशेष की विशेषताएँ (v) उगने वाले पादपों की प्रकृति।

परिपक्व मृदा की उदग्र काट में सुस्पष्ट तीन संस्तर, स्पष्ट दिखाई देने लगते हैं जो मृदा परिच्छेदिका का निर्माण करते हैं।1. ए-संस्तर (A-horizone)— इसे शीर्ष मृदा कहते हैं। शीर्ष मृदा गहरे भूरे रंग की सबसे ऊपरी पर्त होती है जिसकी मोटाई पतली फिल्म से लेकर 10 फीट तक गहरी होती है। इसमें बालू (sand) और ह्यूमस विभिन्न अनुपातों में मिश्रित रहती है। ह्यूमस इस संस्तर (horizon) में ऊपर से नीचे की ओर क्रमशः अधिक से अधिक अपघटित (decomposed) रूप में उपस्थित रहती है। यह परत जैविक दृष्टिकोण से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। पौधों की जड़े प्रायः इसी संस्तर में मिलती हैं। इसके अतिरिक्त छोटे जन्तु, सूक्ष्म पादप तथा जन्तुओं की आबादी इस स्तर में बहुत अधिक होती है। इस स्तर में कार्बनिक पदार्थों का सान्द्रण (concentration) अधिकतम होता है। वनों में शीर्ष मृदा की मोटाई बहुत अधिक होती है।

वर्षा से जल रिस कर इस ए-संस्तर में पहुँच कर लवणों को नीचे के स्तरों की ओर निक्षालित (leached) करता है। इस ए-संस्तरण को निम्न भागों में बांटा गया है

(i) AOO— इस भाग में पादप व जन्तु के वह मृत भाग जैसे पत्तियाँ, टहनियाँ, छाल, फल, फूल आदि रहते हैं जिनका अपघटन नहीं हुआ हो।।(ii) AO— इस संस्तर में अपघटन प्रारम्भ हो जाता है। पादप अंग छोटे टुकड़ों में विभाजित होकर अर्द्ध अपघटित हो जाते हैं।

(iii) Al— इस पर्स में पादप व जन्तु पूर्णतः अपघटित हो जाते हैं। यह अपघटित होकर हल्क स्लेटी से काले रंग के पदार्थ ह्युम्स (humus) में परिवर्तित होते हैं। इस दौरान यह खनिज के साथ मिश्रित हो जाता है। इनमें सूक्ष्मजीवी अधिक संख्या में पाए जाते हैं।

(iv) A2— यह A संस्तर का सबसे निचला स्तर है जहाँ ह्युमस कम मात्रा में मिलता है। खनिज पदार्थ भी नीचे के संस्तरों की तरफ निक्षालित (leached) हो जाते हैं जिससे एलुमिनियम व लौह (iron) रिस कर नीचे की सतह पर चले जाते हैं। अत:इस भाग में क्वार्टज (quartz) व सिलिका बचा रह जाता है। इस प्रक्रिया को सिलिकाकारण (silication) कहते हैं।

2. बी-संस्तर (B-horizon)- ए-संस्तर के नीचे हल्के रंग का चट्टानी परत के ऊपर यह संस्तर मिलता है। इसमें मिट्टी कुछ चिकनी होती है। इस भाग में मृदा कण अत्यधिक सघन रूप से गठित रहते हैं अतः इसमें वायु का अभाव बना रहता है जिससे इनमें जीव जन्तु तथा पौधों की जड़ें पनप नहीं पाती हैं। इस संस्तर में खनिज लवण पानी के साथ घुलकर शीर्ष मृदा से पहुँचते हैं। इस संस्तर में बहुधा एल्युमिनियम तथा लोहे के यौगिक एकत्रित होकर मृदा खण्डों (soil block) का निर्माण करते हैं। निचली B संस्तर में चिकनी मिट्टी ह्युमस, आयरन व एल्युमिनियम के ऑक्साइड एकत्रित होते हैं। यह ऊपरी पर्त A से रिस कर एल्युविएशन (alluviation) क्रिया द्वारा नीचे संस्तर पर पहुँचते हैं।

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