Economy, asked by kunalyadav9969, 11 months ago

मुद्रा का अधिमुल्यन अर्थवयवस्था के लिए कैसे अच्छा है​

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Answered by yashmehra99999
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Explanation:

पृथ्वी की सतह के अंदर जाने पर तापमान बढ़ने लगता है. ये गर्मी कितनी ज़्यादा होती है, इसके बारे में अब तक वैज्ञानिक अंदाजा लगाते रहे हैं. लेकिन अब वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि पृथ्वी के अंदर का तापमान पहले के आकलन से कई गुना ज़्यादा है.

नए आकलन के मुताबिक पृथ्वी के भीतरी कोर का तापमान छह हजार डिग्री सेल्सियस के करीब है. ये तापमान कितना ज़्यादा है इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि सूर्य की सतह का तापमान भी इतना ही होता है.

पहले माना जाता रहा है कि पृथ्वी का केंद्र लौह अयस्क से बना है, लेकिन वास्तव में ये क्रिस्टलीय धातु से बना है, जिसके बाहर तरलीय घेरा होता है. लेकिन इस क्रिस्टलीय धातु का तापमान कितना हो सकता है, इस पर लंबे समय से बहस होती रही है.

सूर्य जितना गर्म

साइंस मैगज़ीन में प्रकाशित एक प्रयोग के मुताबिक पृथ्वी के केंद्र में मौजूद लौह अयस्क पर अत्यधिक दबाव डालकर ये देखा गया है कि वो किस तरह बनता है और पिघलता है.

इस प्रयोग में दुनिया भर में भूकंप के दौरान कैप्चर किए गए सिस्मिक वेव का अध्ययन किया गया. इससे पृथ्वी की गहराई और उसकी परतों के घनत्व के बारे में पता चला लेकिन तापमान के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली.

1990 के शुरुआती सालों में ये अनुमान लगाया गया कि पृथ्वी के केंद्र का तापमान करीब 5000 डिग्री सेंटीग्रेड तक हो सकता है. यह आकलन तमाम नतीजों को कंप्यूटर के जरिए आकलित करके निकाला गया था.

नए शोध अध्ययन के सह लेखक और फ्रांसीसी शोध एजंसी सीआईए के एजनेस डवेल ने बताया, “तब ऐसे आकलनों की शुरुआत थी और उन लोगों ने पहला अनुमान 5000 सेल्सियस का लगाया.”

लेकिन बड़ी मुश्किल बात ये थी कि इस नतीजे पर हर कोई सहमत नहीं हो पा रहा था.

डवेल ने बीबीसी को बताया, “कुछ लोग कंप्यूटर के ज़रिए अलग-अलग अनुमान लगाते हैं, लेकिन हमारे क्षेत्र में एक दूसरे से असहमत होना कोई अच्छी बात नहीं है.”

डॉ. डवेल ने बताया, “हमें जियोफिजिस्टि, सिस्मोलोजॉस्टि, जियोडायनामिस्ट के सवालों का जवाब देना पड़ रहा था, इसके लिए उन्हें कुछ आंकड़े दिए जाने की जरूरत थी."

आकलन पर आम सहमति

डवेल के नेतृत्व में शोध वैज्ञानिकों के दल ने 20 साल पुराने आकलन की छानबीन की है. इसके लिए यूरोपियन सायक्रोटोन रेडिएशन फैसिलिटी का इस्तेमाल किया गया. यह दुनिया के सबसे बहेतरीन एक्स रे अध्ययन की व्यवस्था है.

इसके तहत पृथ्वी के केंद्र की परत पर अत्यधिक दबाव डाला जो समु्द्र तल के दबाव से करीब दस लाख गुना ज़्यादा था. इसके बाद वैज्ञानिकों ने उस परत पर एक्स रे किरणों की बौछार डाली और ये देखा किस तरह तौर लौह तत्व पिघल कर तरल अवस्था में तब्दील हो रही है.

इसके बाद पृथ्वी के केंद्र का तापमान आंका गया जो करीब 6000 डिग्री सेल्सियस था. यह तापमान उतना ही जितना सूर्य की सतह का तापमान होता है. डवेल अपने इस नए आकलन के बारे में बताते हुए कहती हैं कि इस नतीजे से अब हर कोई सहमत है.

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