मंदिर मेसोपोटामिया की संस्कृति के अधिन्न अंग थे स्पष्ट कीजिए
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उत्तर :- मुख्य बिंदु -
(1) 5000 ई. पु. दक्षिणी मेसोपोटामिया में बस्तियों का
विकास।
(2) कुछ प्राचीन शहर मंदिर के चारों ओर विकसित
हुए ।
(3) सबसे पहले ज्ञात मंदिर एक छोटा सा देवालय था जो कि कच्ची ईंटों का बना हुआ था ।
(4) मंदिर विभिन्न प्रकार के देवी देवताओं के निवास स्थान थे जैसे उर जो चंद्र देवता के और इनाणा जो प्रेम व युद्ध की देवी थी ।
(5) कुछ प्रारंभिक साधारण मंदिर घरों जैसे ही होते थे क्योंकि मंदिर भी किसी देवता के घर होते थे ।
(6) देवता पूजा का केंद्र बिंदु होता था लोग देवी देवताओं के लिए अन्न,दही और मछली लाते थे ।
(7) अराध्य देव सैद्धांतिक रूप से खेतों, मत्स्य क्षेत्रों और स्थानीय लोगों के पशुधन का स्वामी माना जाता था ।
(8) समय आने पर उपज को उत्पादित वस्तुओं में बदलने की प्रक्रिया मंदिर में ही की जाती थी ।
(9) मंदिर ने धीरे धीरे अपने क्रियाकलाप बढ़ा लिए थे ।
(10) उस काल में मंदिर न केवल धार्मिक केंद्र थे अपितु आर्थिक क्रियाओं से भी जुड़े थे ।
मंदिर मेसोपोटामिया की संस्कृति के अधिन्न अंग थे, निम्न प्रकार से स्पष्ट किया गया है।
- मेसोपोटामिया के लोगों की धर्म के मामले में यह धारणा थी कि प्रत्येक शहर भगवान द्वारा संरक्षित होता है। पिरामिडों को पृथ्वी तथा स्वर्ग के बीच संपर्क के विश्वास के रूप में निर्मित किया गया था।
- मेसोपोटामिया के प्रत्येक नगर में अपना पैतृक भगवान होता था।
- प्राचीन मेसोपोटामिया के मंदिरों को सामुदायिक मंदिरों के रूप में जाना जाता था।मंदिर याजको व पुजारियों द्वारा संचालित किए जाते थे तथा वे शासकों के छोटे रिश्तेदार हुआ करते थे। इन पुजारियों व याजको का काम अपने देवताओं की प्रार्थना करना व प्रसाद के माध्यम से अपने समुदायों के भाग्य के लिए देवताओं के साथ हस्तक्षेप करना था।
- मंदिरों वहां के लोगों लिए एक पवित्र स्थान था जहां पर वे भगवान की उपस्थिति सुनिश्चित करके एक स्थान प्रदान करते थे जहां वे भगवान से संपर्क स्थापित कर सके।
- मंदिर मेसोपोटामिया के लोगो के लिए विलाप का स्थान भी था जहां पर वे लोग विलाप किया करते थे।
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