मुद्रण संस्कृति ने फ्रांसीसी क्रांति के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ तैयार की उसके समर्थन में दो तर्क दीजिए?
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मुद्रण संस्कृति ने फ्रांसीसी क्रांति के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ उत्पन्न कीं :
मुद्रण संस्कृति ने प्रबुद्ध विचारकों के विचारों को बढ़ावा दिया। उनके लेखनों ने पूर्णतः परंपरा, अंधविश्वास तथा निरंकुशवाद की आलोचना की।
उन्होंने चर्च के पवित्र अधिकारों तथा राज्य की निराशाजनक शक्तियों पर हमला किया और इस प्रकार पारंपरिक आधार पर दिए गए आदेशों की वैधता को समाप्त कर दिया गया। वॉल्तेयर और रूसो को व्यापक रूप से पढ़ा और समझा भी गया।
जानकारों, आलोचकों तथा तर्कपूर्ण रूप से देखने वाले लोगों द्वारा सभी मूल्यों, मानदंडों और संस्थाओं का पुनर्मूल्यांकन किया गया। इसलिए सामाजिक क्रांति के नए विचारों का जन्म हुआ।
1780 के दशक तक, साहित्य ने राजशाही तथा उसकी नैतिकता को मजाक बनाया और जमकर आलोचना की। फलस्वरूप आम जनता में राजतंत्र के विरूद्ध शत्रुतापूर्ण भावनाओं का विकास हुआ।
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1789 में कर्इ इतिहासकारों का मानना है कि मुद्रण संस्कृति ने फ्रांसीसी क्रांति के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ रची। (i) पहला : छपार्इ के चलते उन्होने रीति-रिवाजों की जगह विवेक के शासन पर बल दिया और माँग की हर चीज़ को तर्क और विवेक की कसौटी पर ही कसा जाए।