मृदा संरक्षण क्यों आवश्यक है
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मिट्टी संरक्षण का तात्पर्य इसकी उत्पादकता व उर्वरा को बढ़ाना व इसे बनाए रखने से है। भू-संरक्षण के बिना भूमि के ऊपरी परत का वृहद हृास हो रहा है। दिन प्रतिदिन खाद्य, ईधन तथा इमारती लकड़ी की बढ़ती माग की पूर्ति के लिए वनों की कटाई की जा रही है।
मिट्टी को मिट्टी के कटाव से बचाने के लिए मृदा संरक्षण महत्वपूर्ण है। मिट्टी में खनिज, पोषक तत्व और अन्य महत्वपूर्ण घटक होते हैं जो बढ़ती फसलों के लिए आवश्यक है यही कारण है कि हमें मिट्टी को संरक्षित करने की आवश्यकता है।
मृदा संरक्षण के विभिन्न तरीके हैं:
1.टेरेस फार्मिंग: टेरेस खेती चावल उगाने की एक विधि है जैसे चावल, सीढ़ियाँ जैसे कदम। 500 हेक्टेयर के क्षेत्र में हमें चावल की फ़सलें उगानी हैं बजाय इसके कि हम व्यापक स्तर पर कदम बढ़ाएँ और बढ़ते जाएँ फसलें।
लाभ: उच्च हवा हवाओं द्वारा मिट्टी को नहीं उड़ाया जाएगा और इसलिए मिट्टी का संरक्षण किया जाता है।
2. बफ़र स्ट्रिप: बफर स्ट्रिप क्रॉपिंग का एक और तरीका है। इस विधि में पानी और फ़सल के रास्ते के बीच एक स्ट्रिप (लाइन या बॉर्डर की तरह स्ट्रिप का मतलब है) बनाया जाता है। पानी पौधों को दिया जाता है और कहीं भी नहीं बहता है। बफ़र स्ट्रिप का एक और लाभ यह है कि इसमें उर्वरक और कीटनाशक रखे जाते हैं जहाँ यह छिड़काव किया जाता है। पौधों को उचित पोषक तत्व मिलते हैं क्योंकि पानी या अन्य पोषक तत्वों के प्रवाह को कोई नुकसान नहीं होता है।
3. क्रॉप रोटेशन: क्रॉप रोटेशन एक ही क्षेत्र में या किसी दिए गए स्थान पर विभिन्न प्रकार की फसलों के बढ़ने को दर्शाता है।
लाभ: यह मिट्टी और धारण क्षमता को मजबूत करता है। यह मिट्टी को पोषक तत्व भी प्रदान करता है क्योंकि विभिन्न प्रकार की फसलें एक साथ उगाई जाती हैं।
4. मल्चिंग: शहतूत का अर्थ है कि मिट्टी, खाद, डस्क या अन्य खाद सामग्री द्वारा मिट्टी की ऊपरी सबसे ऊपरी परत को ढंकना ताकि आंतरिक मिट्टी की रक्षा हो।
5.No -till Farming: नो-टिल फार्मिंग का मतलब है बिना जुताई (जुताई) के फसल उगाना ताकि मिट्टी की रक्षा हो।-जब तक खेती करना जरूरी है, क्योंकि मिट्टी में कोई गड़बड़ी नहीं है।