मीठी वाणी पर आधारित कोई 6 दोहे।
Angel291:
I can give u kabir ke dohe
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1) दोनों रहिमन एक से, जाैं लाैं बोलत नाहिं
जान परत है काक पिक, ऋतु वसंत के माहिं।
2) कुटिल वचन सबतें बुरा, जारि करै सब छार
साधु वचन जल रुप है, बरसै अमृत धार।
3) यही बड़ाई शब्द की, जैसे चुम्बक भाय
बिना शब्द नहिं ऊबरै, केता करे उपाय।
4) एेसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय
आैरन को सीतल करै, आपहु सीतल होय।
5) खोद खाद धरती सहे, काट कूट वनाराय
कुटिल वचन साधु सहे, और से सहा न जाये।
6) शीतल शब्द उच्चरिये, अहम मानिये नही
तेरा प्रीतम तुझमे है, दुश्मन भी तुझ माही।
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जान परत है काक पिक, ऋतु वसंत के माहिं।
2) कुटिल वचन सबतें बुरा, जारि करै सब छार
साधु वचन जल रुप है, बरसै अमृत धार।
3) यही बड़ाई शब्द की, जैसे चुम्बक भाय
बिना शब्द नहिं ऊबरै, केता करे उपाय।
4) एेसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय
आैरन को सीतल करै, आपहु सीतल होय।
5) खोद खाद धरती सहे, काट कूट वनाराय
कुटिल वचन साधु सहे, और से सहा न जाये।
6) शीतल शब्द उच्चरिये, अहम मानिये नही
तेरा प्रीतम तुझमे है, दुश्मन भी तुझ माही।
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तुलसी’ खल बानी मधुर, मुनि समुझिअं हियं हेरि।
राम राज बाधक भई, मूढ़ मंथरा चेरि।।
‘‘कभी किसी की मधुर वाणी सुनकर उस पर मोहित नहीं होना चाहिए। दासी मंथरा ने कैकयी को मधुर वाणी में समझाकार भगवान श्री राम के राज्याभिषेक में बाधा डाली थी।’’
राम राज बाधक भई, मूढ़ मंथरा चेरि।।
‘‘कभी किसी की मधुर वाणी सुनकर उस पर मोहित नहीं होना चाहिए। दासी मंथरा ने कैकयी को मधुर वाणी में समझाकार भगवान श्री राम के राज्याभिषेक में बाधा डाली थी।’’
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