मीठी वाणी पर निबंध अथवा मधुर वाणी पर निबंध
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मधुर वाणी का महत्त्वप्रेमरस
मधुर वाणी बोलने से तात्पर्य यह नही है कि मन में द्वेष रखते हुए मीठी वाणी का प्रयोग किया जाए। जीवन का लक्ष्य तो मन की कटुता / वैमनस्य को. मीठी वाणी पर निबंध अथवा मधुर वाणी पर निबंध - HindiVyakran मीठी वाणी पर निबंध अथवा मधुर वाणी पर निबंध: मधुर वाणी से मनुष्य, पशु-पक्षी भी प्रिय बन सकते हैं। यह वह रसायन है जिससे लोहा भी सोना बन जाता है, यह वह औषधि है.मीठी वाणी पर 10. Nov 27, 2017 · कबीर के दोहे मीठी वाणी इन हिंदी: Kabir Ke Dohe in Hindi with Meaning बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय, जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय। अर्थ: जब मैं इस संसार में बुराई.Kabir aur rahim ke 5 dohe meethi vani pr in hindi - Hindi. Kabir aur rahim ke 5 dohe meethi vani pr in hindi - Hindi - 011-40705070 or. मित्र हम आपको मीठी वाणी पर दोहे लिखकर दे रहे हैं। आशा करते हैं कि आपकी समस्या का समाधान हो गया होगा.मधुर वाणी का महत्व पर निबंध - > मधुर वाणी मनोनुकूल होती है जो कानों में पड़ने पर चित्त द्रवित हो उठता है। वाणी की मधुरता ह्रदय-द्वार खोलने की कुंजी है। एक ही बात को हम कटु शब्दों में.hindi sites for you: कबीर के दोहे मीठी वाणी उनके वाणी से निकले शब्द तात्कालिक रूप से जरूर प्रभाव डालते हैं पर श्रोता के ह्रदय की गहराई में नहीं उतरते क्योंकि वह कथित वक्ताओं के.
तुलसी मीठे वचन से, जग अपनो करि लेत।।
क्या बेचारा कौआ किसी का कुछ लेता है यदि नहीं तो फिर लोग उसे आराम से अपने घरों की छतों पर, मेंरों पर, क्यों नहीं बैठने देते? घृणा यहां तक बढ़ गई है कि उसके दर्शन को भी अपशकुन समझा जाता है। किसी शुभ काम से जाने के पूर्व लोग दिखा लिया करते हैं कि बाहर कौआ तो नहीं बैठा है। इसके विपरीत कोयल समाज को क्या देती है? समाज उसकी वाणी को शुभ और दर्शनों को प्रिय क्यों समझता है? सोने के पिंजड़ों में बंद होकर कोयल राज दरबार की शोभा बढ़ा सकती है तो क्या कौए को पिंज़ों में बंद होकर किसी झोपड़ी में चार-चाँद लगाने का अधिकार नहीं ? यह व्यवहार-विभेद प्राणी के गुण-अवगुणों पर आधारित है। यदि आप में गुण हैं तो आप पराये को भी अपना बना सकते हैं। मधुर वाणी से मनुष्य, पशु-पक्षी भी प्रिय बन सकते हैं। यह वह रसायन है जिससे लोहा भी सोना बन जाता है, यह वह औषधि है, जिससे मानव हृदय के समस्त विकार दूर हो जाते हैं, यह वह वशीकरण मन्त्र है, जिससे आप दूसरों के हृदय में बैठ जाते हैं, यह वह बाण है, जिससे मनुष्य के हृदय में घाव नहीं होता, अपितु स्नेह की मधुर व्यथा उत्पन्न हो जाती है। यह वह अमृत है, जिससे मृत-प्राणी में भी जीवन का संचार हो उठता है। जीवन और जगत् को सुखी और शान्त बनाने के लिये मधुर वाणी से अधिक लाभदायक वस्तु और क्या हो सकती है। श्रोता और वक्ता दोनों को आनन्द-विभोर कर देने वाली यह मधुर वाणी समाज की पारस्परिक मान-मर्यादा, प्रेम-प्रतिष्ठा और श्रद्धा-विश्वास की आधार-स्तम्भ है। इसके अभाव में समाज कलह, ईष्र्या-द्वेष और वैमनस्य का घर बन जाता है। जिस समाज में पारस्परिक सौहार्द्र और सहानुभूति नहीं, वह समाज नहीं, प्रेतों का घर है, साक्षात् नरक है। इसीलिये शास्त्र आज्ञा करते हैं कि