Hindi, asked by AakashdeepSharma, 1 year ago

मीठी वाणी से सम्बंदित 6 दोहे

Answers

Answered by OfficialPk
6

1) दोनों रहिमन एक से, जाैं लाैं बोलत नाहिं
​     जान परत है काक पिक, ऋतु वसंत के माहिं। 

2) कुटिल वचन सबतें बुरा, जारि करै सब छार
​    साधु वचन जल रुप है, बरसै अमृत धार। 

3) यही बड़ाई शब्द की, जैसे चुम्बक भाय 
    बिना शब्द नहिं ऊबरै, केता करे उपाय। 

4) एेसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय 
   आैरन को सीतल करै, आपहु सीतल होय। 

5) खोद खाद धरती सहे, काट कूट वनाराय
कुटिल वचन साधु सहे, और से सहा न जाये।

6) शीतल शब्द उच्चरिये, अहम मानिये नही
तेरा प्रीतम तुझमे है, दुश्मन भी तुझ माही।

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AakashdeepSharma: can you tell me the meanings?
AakashdeepSharma: please
Answered by 0nkar
6
1) पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।

2)साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय,
सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय।

3)तिनका कबहुँ ना निन्दिये, जो पाँवन तर होय,
कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय।

4)धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय,
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय।

5)माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर,
कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।

6)जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान,
मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान।

AakashdeepSharma: please
0nkar: okk
0nkar: 1) अर्थ : बड़ी बड़ी पुस्तकें पढ़ कर संसार में कितने ही लोग मृत्यु के द्वार पहुँच गए, पर सभी विद्वान न हो सके. कबीर मानते हैं कि यदि कोई प्रेम या प्यार के केवल ढाई अक्षर ही अच्छी तरह पढ़ ले, अर्थात प्यार का वास्तविक रूप पहचान ले तो वही सच्चा ज्ञानी होगा.
0nkar: 2) अर्थ : इस संसार में ऐसे सज्जनों की जरूरत है जैसे अनाज साफ़ करने वाला सूप होता है. जो सार्थक को बचा लेंगे और निरर्थक को उड़ा देंगे.
0nkar: 3) अर्थ : कबीर कहते हैं कि एक छोटे से तिनके की भी कभी निंदा न करो जो तुम्हारे पांवों के नीचे दब जाता है. यदि कभी वह तिनका उड़कर आँख में आ गिरे तो कितनी गहरी पीड़ा होती है 
0nkar: 4) अर्थ : मन में धीरज रखने से सब कुछ होता है. अगर कोई माली किसी पेड़ को सौ घड़े पानी से सींचने लगे तब भी फल तो ऋतु आने पर ही लगेगा
0nkar: 5) अर्थ : कोई व्यक्ति लम्बे समय तक हाथ में लेकर मोती की माला तो घुमाता है, पर उसके मन का भाव नहीं बदलता, उसके मन की हलचल शांत नहीं होती. कबीर की ऐसे व्यक्ति को सलाह है कि हाथ की इस माला को फेरना छोड़ कर मन के मोतियों को बदलो या फेरो.
0nkar: 6) अर्थ : सज्जन की जाति न पूछ कर उसके ज्ञान को समझना चाहिए. तलवार का मूल्य होता है न कि उसकी मयान का – उसे ढकने वाले खोल का.
AakashdeepSharma: thank you
0nkar: np
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