Hindi, asked by reshmapriya1254, 11 months ago

माधुर्य भाव भक्ति से क्या आश्रय है

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Answered by nisi14282
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माधुर्य भाव से की गई भक्ति ही सर्वश्रेष्ठ है और इस भाव से की गई भक्ति से हम भगवान को अपना राजा, स्वामी, सखा, बेटा एवं प्रियतम मानकर प्रेम कर सकते हैं, सभी रसों का आनंद ले सकते हैं इसमें अनेकानेक कठिनाइयां भी हैं।

जगतगुरू श्री कृपालु जी महाराज की शिष्या श्रीश्वरी देवी ने अपने प्रवचन में 13वें दिन भक्ति योग से भगवत प्राप्ति के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि भक्ति योग से भगवान की प्राप्ति सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है लेकिन इसमें भी बहुतेरी शर्तें हैं जिन्हें मानना आवश्यक है। भक्ति मार्ग में सर्वप्रथम सांसारिक मोहमाया को त्यागकर एक ऐसा महापुरुष खोजना होगा। जो स्वयं ईश्वर प्राप्ति कर चुका हो उसे अपना गुरू मानकर पूर्ण शरणागति करनी होगी और उनके बताए मार्ग पर चलकर साधना शुरू करना होगा। साधना तब तक करना होगा जब तक हमारी अंत:करण की शुद्धि नहीं हो जाती और जब अंत:करण की शुद्धि हो जाएगी तो हमारे गुरू द्वारा हमें एक दिव्य शक्ति प्रदान की जायेगी जिसे दीक्षा कहा जाता है और उसी क्षण हमें ईश्वरी जगत में प्रवेश मिल जायेगा और ईश्वर के दर्शन हो जाएंगे।

भक्ति मार्ग में भी भगवत प्राप्ति के पांच प्रकार हैं जिसमें शांत भाव, दास्य भाव, सखा भाव, वात्सल्य भाव एवं माधुर्य भाव है। इन पांच भावों में भी सर्वश्रेष्ठ भाव माधुर्य भाव है जिसमें पांचों भाव समाहित हैं। शांत भाव से की गई भक्ति में हम भगवान को अपना राजा ही मान सकते हैं और इस भाव में मर्यादाएं बहुत हैं, रस है ही नहीं इसलिए इस शांत भाव को रसिकों ने बाहर कर दिया और मूलत:चार भाव माने जाते हंै। दास्य भाव में हम भगवान को अपना स्वामी मान सकते हैं और एक सेवक के रूप में रस प्राप्त कर सकते हैं।

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