माध्य, माध्यिका एवं भूयिष्ठक में संबंध स्पष्ट कीजिए
Explain the relation between the mean, m
[M-2905-A]
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opular in modern times?
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उत्तर–समान्तर माध्य (Mean)— समान्तर माध्य किसी भी समष्टि अथवा प्रतिदर्श की केन्द्रीय प्रवृत्ति के लिए सर्वोत्तम माप माना जाता है। आँकड़ों के न्यूनतम एवं अधिकतम मानों के लगभग मध्य में औसत का मान सुनिश्चित रहता है। इसी को समान्तर माध्य कहते हैं। सामान्यतः समान्तर माध्य ज्ञात करने हेतु समाप्त मदों के मूल्यों के योग में मदों के योग में मदों की संख्या (Number of items) का भाग लगाया जाता है।
मदों की संख्या समान्तर माध्य के गुण (Merits of Mean)-
(1) सरल गणना (easy to calculate)
(2) समझने के लिए अति सुगम।
(3) चरों के सभी मानों को बराबर महत्त्व दिया जाता है।
(4) श्रेणी को क्रमबद्ध करने की आवश्यकता नहीं पड़ती, किसी भी रूप में गणना से प्राप्त उत्तर स्थिर होते हैं।
(5) आँकड़ों के समूह की केन्द्रीय प्रवृत्ति सुस्पष्ट करते हैं।
सामान्तर माध्य के दोष (Demerits of Mean)-
(1) अवास्तविक।
(2) निरीक्षण से ज्ञात करना सम्भव नहीं।
(3) सीमान्त मूल्यों का माध्यम पर सीधा प्रभाव।
माध्यिका (Median)–माध्यिका (median) से अभिप्राय है। आँकड़ों की श्रृंखला के मध्य का वह मान जो सम्पूर्ण वितरण को दो बराबर भागों में विभक्त कर दें। डॉ. ए. एल. बाउले के अनुसार, ''यदि एक समूह के मानों को उनके मापों के आधार पर क्रमबद्ध किया जाये तो लगभग बीच का मान माध्यिका होता है।''
कॉनर के अनुसार, 'माध्यिका आँकड़ों की श्रेणी का वह चर मान हैं जो समूह को दो बराबर भागों में विभाजित करता है जिससे एक भाग में सभी मूल्य माध्यिका से अधिक और दूसरे भाग में सभी मान उससे कम होते हैं।"
माध्यिका के गुण (Merits of median)-
(1) स्पष्टता (2) सरलता (3) गुणात्मक तथ्यों के लिए उपयुक्त (4) चरम मूल्यों का परिणाम पर कोई प्रभाव नहीं (5) बिन्दु रेखीय प्रदर्शन सम्भव।
माध्यिका के दोष (Demerits of median)-
(1) प्रतिनिधित्व का अभाव
(2) प्रतिचयन का अभाव
(3) सीमान्त मूल्यों की उपेक्षा
(4) बीजगणितीय विवेचन संभव नहीं ।
बहुलक (Mode)— किसी श्रेणी में अथवा बारंबारता वितरण सारणी में चर का वह मान जो सबसे अधिक बार उपस्थित हो, उस श्रेणी का बहुलक (Mode) कहलाता है अर्थात् श्रेणी के चर का मान जिसकी आवृत्ति सर्वाधिक हो, बहुलक कहलाता है। दूसरे शब्दों में बहुलक के आस-पास ही उस श्रेणी के लगभग सभी चर मान केन्द्रित होते हैं। वितरण में यदि आवृत्ति एक ही चर मान पर वितरित रहती है। तो इसे एकल बहुलक कहते हैं तथा एक से अधिक चर मान पर सर्वाधिक आवृत्ति वितरित रहे तो इसे बहु-बहुलक कहते हैं।
बहुलक के गुण (Merits of mode)-
(1) बहुलक की सरलता से गणना की जा सकती है।
(2) बिन्दु रेखा द्वारा निर्धारण किया जा सकता है।
(3) बहुलक में गुणात्मक तथ्यों का प्रयोग किया जा सकता है।
(4) बहुलक श्रेणी का महत्त्वपूर्ण माप है।
(5) बहुलक पर चरम मूल्यों का न्यूनतम प्रभाव होता है।
बहुलक के दोष (Demerits of mode)-
(1) बहुलक में चरम मानों को कोई महत्त्व नहीं दिया जाता है।
(2) बहुलक ज्ञात करना अस्पष्ट तथा अनिश्चित रहता है।
(3) बहुलक को बीजगणितीय विवेचन नहीं किया जा सकता है, अतः यह अपूर्ण है।
(4) बहुलक में पदों को क्रमानुसार रखना आवश्यक है, इसके बिना बहुलक ज्ञात नहीं किया जा सकता है।
(5) बहुलक को यदि पदों की संख्या से गुणा किाय जाये तो पदों के कुल मानों का योग प्राप्त नहीं किया जा सकता है।
मानक विचलन (Standard Deviation)– विचलन को मूल मध्यक वर्ग विचलन के नाम से भी जाना जाता है।
परिभाषा– दिये गये प्राप्तांकों के मध्यमान के लिये गये प्रत्येक प्राप्तांक के विचलन के वर्गों के मध्यमान का वर्गमूल ही प्रमाणिक या मानक विचलन होता है।
इसमें माध्यम विचलन के दोषों को दूर करने का प्रयत्न किया गया है। प्रमाप विचलन के परिकलन में समस्त विचलन गणितीय क्रिया से स्वयं ही घनात्मक हो जाते हैं। प्रमाप विचलन को ग्रीक अक्षर (Sigma) σ से प्रदर्शित करते हैं।
मानक विचलन के गुण (Merits of Standard Deviation)-
(1) सभी मूल्यों पर आधारित
(2) उच्च गणितीय अध्ययन में महत्त्वपूर्ण
(3) निश्चित मूल्य
(4) प्रतिचयन के कारण परिवर्तनों का प्रभाव कम।
(5) बीजगणितीय चिह्नों की उपेक्षा नहीं।
मानक विचलन के दोष (Demerits of Standard Deviation)-
(1) कठिन गणना (2) सीमान्त मूल्यों का महत्त्व अधिक।
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