माधवी नाटक के प्रमुख पात्रों के चरित्र पर प्रकाश डालिए ?
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Answer: माधवी नाटक के प्रमुख पात्रों के चरित्र
माधवी भीष्म साहनी के नाटक 'माधवी' की प्रमुख नारी पात्र है। माधवी, नाटक में उस नारी जाति का प्रतिनिधित्व करती है जो अपने को तिल-तिल जला कर दूसरों के काम आती है। माधवी की चारित्रिक विशेषताएँ निम्न हैं-
आज्ञाकारी पुत्री
माधवी के चरित्र का सबसे बड़ा गुण एक आज्ञाकारी पुत्री होना है। पिता ययाति द्वारा
अपने यश की लालसा की पूर्ति के लिए माधवी को गालव को दान में दे दिया जाता
है परंतु माधवी अपने पिता के आदेश का उल्लंघन नहीं करती वह एक पुत्री के भाव
से पिता से प्रश्न तो करती है “आज माँ होती तो क्या वे भी मुझे इस तरह दान में दे
देती ।” परंतु एक क्षण के लिए भी वह अपने मन में पिता की आज्ञा का उल्लंघन करने
का विचार नहीं लाती। पिता के इस निर्णय से माधवी को कष्ट तो पहुँचता है परंतु वह
अपने कर्तव्य के आगे घुटने टेक देती है और स्वयं का दान में दिया जाना ही नियति मान लेती है। वचनबद्धतावचन को पूर्ण करने का साहस व सामर्थ्य भी माधवी के चरित्र की एक महत्वपूर्ण
विशेषता है पुत्र रत्न की प्राप्ति के पश्चात राजा हर्यश्च माधवी को सदा के लिए अपनी
पटरानी बनाने को तैयार होते हैं परंतु माधवी अपने वचन से विचलित नहीं होती। जब
राजा मंत्री के द्वारा माधवी तक ये समाचार पहुँचाते हैं तो माधवी कहती है” महाराज
को प्रणाम कहें। उनसे कहें कि माधवी भी वचनबद्ध है, अपना वचन पूरा करने के बाद
राजप्रासाद के बाहर आ गई है। अयोध्या में रहने का अब कोई प्रयोजन नहीं है, मैं आज
ही यहां से चली जाऊँगी, महाराज को मेरा धन्यवाद कहें।”
कर्तव्यपरायण स्त्री
माधवी कर्तव्यपरायण स्त्री पात्र है। कर्तव्य को ही अपना धर्म मान कर माधवी गालव
की प्रतिज्ञा पूर्ण करने का साधन मात्र बनने को तैयार हो जाती है। माधवी को अनेक
कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है अनेक राजाओं के रनिवास में रहना पड़ता हैतथा अपने पुत्रों को भी छोड़ना पड़ता है परंतु माधवी अपने कर्म पथ से विचलित
नहीं होती। वह अपने कर्तव्य का पूर्ण रूप से निर्वाह करती है और अंत में माधवी अपने
प्रेमी द्वारा अस्वीकार भी कर दी जाती है।
कोमलता और प्रेम से परिपूर्ण हृदय
माधवी का हृदय बहुत ही कोमल और प्रेम से परिपूर्ण है। वह गालव से प्रेम करती है
और उसकी गुरु दक्षिणा पूर्ण कराने के लिए स्वयं तिल-तिल मिटाने को भी तैयार हैं।
वह गालव की मुक्ति में अपनी मुक्ति की बीहड़ कंटकपूर्ण राह खोजती है। वह गालव
से कहती है-- “तुम ऋणमुक्त होने के लिए यह सब प्रयास कर रहे हो ना? और मैं?
>००८« मैं तुम्हें प्राप्त कर पाने के लिए ” गालव की प्रतिज्ञा पूर्ण कराने के लिए माधवी
स्वयं कोई भी पीड़ा सहन करने का साहस रखती है।
ममत्व
प्रेम, भावनाएँ और मातृत्व, ये सभी गुण माधवी के चरित्र में पूर्ण रूप से विद्यमान हैं।
माधवी गालव से प्रेम करती है और उसकी प्रतिज्ञा पूर्ण कराने के लिए कुछ भी करने
को तैयार है परंतु जब माधवी प्रथम बार अपने शिशु वसुमना को राजा के पास छोड़ती
है तब वह पहले सी माधवी नहीं रहती तब वह एक स्त्री से माँ बन चुकी होती है और
अपने पुत्र के प्रति मोह और पुत्र के छूट जाने का दर्द और ममत्व माधवी के संवादों
में साफ दिखाई पड़ता है। वह गालव से कहती है- “ओ गालव, मैं तुम्हें क्या बताऊं?
जब तक बच्चे ने जन्म नहीं लिया था, मैं सारा वक्त तुम्हारे बारे में ही सोचती रहती थी,
तुम्हारे बारे में, तुम्हारी गुरु- दक्षिणा के बारे में पर उसके जन्म लेने की देर थी कि ना
जाने मुझे क्या हो गया मेरे लिए सब कुछ बदल गया। गालव मुझे क्या हो गया है?”
उपर्युक्त विशेषताओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि माधवी सिर्फ एक आज्ञाकारी पुत्री या कर्तव्यपरायण स्त्री ही नहीं, कोमल हृदय व मातृत्व के स्नेह से भरपूर नारी पात्र है। माधवी का स्त्रियोचित चरित्र उसे महानता के उत्कर्ष पर पहुँचाता है। साथ ही, पुरुष प्रधान समाज में उस उत्कर्ष तक पहुँचने के लिए चुकाई गई कीमतोंकी ओर संकेत भी करता है।
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