म िव ज नत अपिे उदभव क ि से ही प्रक
ृ
नत की गोद मे ही जन्म लिय और
उसी से ही अपिे भरण पोषण की स मग्री प्र प्त की|प्रक
ृ
नत िे म िव जीवि को
सांरक्षण प्रद ि ककय |र म,सीत व िक्ष्मण िेभी पांचवटी ि मक स्थ ि पर क
ु
टटय
बि कर विव स क िांब समय व्यतीत ककय थ | वक्षृ
ों की िकड़ी से म िव
अिेक प्रक र के ि भ उठ त है|उसिे िकड़ी को ईंधि के रूप मे प्रय
ु
क्त
ककय |इससे मक ि व झोपड़ड़य ाँ बि ई|इम रती िकड़ी से भवि निम ाण,क
ृ
षष
यांत्र,पररवहि;जैसे-रथ,ट्रक तथ रेिों के ड़िब्बे तथ फ़निाचर आटद बि ई ज ते है
कोयि भी िकड़ी क प्रनतरूप है|वक्षृ
ों की िकड़ी तथ उसके उत्प द;जैसे-ि ररयि
क ज
ूट,िकड़ी क ब
ुर द ,चीड़ की िकड़ी आटद षवलभन्ि वस्तु
ओां क
प्रयोगफि,क ाँच के बतिा आटद ि जक
ु
पद थो की पकेकांग के लिए ककय ज त
है|इस प्रक र वक्षृ
ों से षवलभन्ि प्रत्यक्ष ि भों के अनतररक्त परोक्ष फ यदे भी
है|जीवि द यी ऑक्क्सजि वक्षृ
ों से ही प्र प्त होती है|अधधक वक्षृ
ों से ब ढ़-निय
लकड़ी सेमानव दकस प्रकार लाभ उठाता है?
3 वृक्षषांसेपरषक्ष फायिा क्या है?
4 अदधक वृक्ष हषनेसेक्या हषता है?
5 प्रत्यक्ष तथा प्राकृ दतक का दवलषम दलखिए|
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