मूवां पीछे जिनि मिलै, कहै कबीरा राम।
पाथर घाटा लौह सब, (तब) पारस कोणे काम ।।४।।
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मूवां पीछे जिनि मिलै, कहै कबीरा राम।
पाथर घाटा लौह सब, (तब) पारस कोणे काम ।।४
प्रस्तुत दोहे में कबीर ने ईश्वर-दर्शन की अभिलाषा प्रकट की है। कबीर ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि हे प्रभु आप के दर्शन की अभिलाषा है। यदि आप मुझे दर्शन देना चाहते हैं तो मेरे जीवन काल में ही दीजिए न कि मृत्यु के बाद। कबीर कहते हैं कि जिस प्रकार पारस पत्थर की तलाश में पत्थरों
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