Hindi, asked by ambetkar3060, 11 months ago

मेवाड़-मुकुट खण्डकाव्य के आधार पर लक्ष्मी का चरित्र-चित्रण कीजिए ।

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Answered by panesarprince6
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Answer:

मेवाड़-मुकुट मणि महाराणा प्रताप की जयंती पर कोटि-कोटि नमन |

प्रताप का नाम इतिहास में वीरता और दृढ प्रण के लिये अमर है। अकबर के नवरत्नों में से एक अब्दुर्रहीम खान-ए-खाना ने कहा था - 'धर्म रहेगा और पृथ्वी भी रहेगी, (पर) मुग़ल-साम्राज्य एक दिन नष्ट हो जायगा। अत: हे राणा! विश्वम्भर भगवान के भरोसे अपने निश्चय को अटल रखना।'

हल्दी घाटी को कौन भूल सकता है जहाँ महाराणा प्रताप ने अपनी मातृभूमि की लाज बचाये रखने के लिए असंख्य युद्ध लड़े और शौर्य का प्रदर्शन किया। भीलों का अपने देश और नरेश के लिये वह अमर बलिदान, राजपूत वीरों की वह तेजस्विता और महाराणा का वह लोकोत्तर पराक्रम इतिहास में प्रसिद्ध है।

अंतिम समय में राणा प्रताप की यह चिंता थी कि पुत्र राणा अमर सिंह हमारे पूर्वजों के गौरव की रक्षा नहीं कर सकेगा। अमर के विलासी होने पर मातृभूमि की वह स्वाधीनता जाती रहेगी, जिसके लिए मैंने बराबर पच्चीस वर्ष तक कष्ट उठाए, सभी भाँति की सुख-सुविधाओं को छोड़ा।

प्रताप का वाक्य पूरा होते ही समस्त सरदारों ने उससे कहा, "महाराज! हम लोग बप्पा रावल के पवित्र सिंहासन की शपथ करते हैं कि जब तक हम में से एक भी जीवित रहेगा, उस दिन तक कोई तुर्क मेवाड़ भूमि पर अधिकार न कर सकेगा। जब

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Answered by sindhu789
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मेवाड़-मुकुट खण्ड काव्य में  लक्ष्मी का चरित्र-चित्रण निम्नलिखित हैं-

Explanation:

लक्ष्मी महाराणा प्रताप की अर्द्धांगिनी हैं। वे महाराणा प्रताप के साथ वनों में भटक रही हैं साथ ही उन्ही के समान कष्ट भी झेल रही हैं।

(1) मानसिक संघर्ष : इतने कष्ट झेलने के बाद लक्ष्मी को मानसिक संघर्ष के साथ अनेक प्रकार की शंकाएं होने लगती हैं। उनका सोचना है कि वास्तव में भोग ही सच्चा जीवन दर्शन है जबकि कर्म योग की बातें कोरा आदर्श है।  

(2) महाराणा प्रताप के लिए लक्ष्मी के हृदय में अपार श्रद्धा है। उनका कहना है कि कभी अत्याचारी के आगे सर न झुकाना,अपने धर्म और स्वाभिमान को न बेचना और दासता का जीवन स्वीकार न करना उनके जीवन का एकमात्र अपराध है। जिसके कारण उन्हें इतने कष्ट झेलने पड़े परन्तु उनकी आत्मा महान है इससे उन्हें संतोष प्राप्त होता है।  

(3) उदारहृदया : लक्ष्मी के साथ अकबर की ममेरी बहन दौलत आ कर रहने लगती है जो एक शत्रु की बहन रहती है । किन्तु वह उससे उतना ही  स्नेह करती हैं, जितना अपने पुत्र अमर को।  

(4) स्वतंत्रता प्रेमी : इतने मानसिक संघर्ष झेलने के बाद भी अंत में उनकी स्वतंत्रता की भावना की विजय होती है।  

(5) दृढ़ता एवं वीरता : जब महाराणा प्रताप मेवाड़ छोड़ने का निश्चय कर लेते है तो उनका मन उत्साह से भर जाता है और कहती है की मेरी चिन्ता न करें मैं जौहर करना जानती हूँ।  

अतः इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि रानी लक्ष्मी, उदारहृदया, साहसी एवं सहनशील हैं। वे एक आदर्श पत्नी तथा स्नेही माँ हैं।

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