म्यूचुअल फंड के महत्व पर चर्चा
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अपेक्षाकृत कम जोखिम:
सभी म्यूचुअल फंड विविधीकरण लाभ प्रदान करते हैं। यही कारण है कि म्यूचुअल फंड निवेश सीधे शेयरों में निवेश करने से कम जोखिम भरा होता है।
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म्यूचुअल फंड मे एक फंड प्रबंधक होता है जो फंड के निवेशों को निर्धारित करता है और लाभ और हानि का हिसाब रखता है। इस प्रकार हुए फायदे-नुकसान को निवेशको मे बाँट दिया जाता है। स्टॉक बाजार की पर्याप्त जानकारी न होने पर भी निवेश की इच्छा रखने वालों के लिए एक सुलभ मार्ग म्यूचुअल फंड होता है।म्यूचुअल फंड मे एक फंड प्रबंधक होता है जो फंड के निवेशों को निर्धारित करता है और लाभ और हानि का हिसाब रखता है। इस प्रकार हुए फायदे-नुकसान को निवेशको मे बाँट दिया जाता है। स्टॉक बाजार की पर्याप्त जानकारी न होने पर भी निवेश की इच्छा रखने वालों के लिए एक सुलभ मार्ग म्यूचुअल फंड होता है।बाजार में कोई भी फंड हाउस जब कोई नई योजना निकालता है, तब इससे जुड़े सभी नियमों, शर्त और दूसरी बातों की जानकारी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) को अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराता है। यह जानकारी जिस दस्तावेज के द्वारा सेबी को दी जाती है, उसे 'स्कीम का ऑफर डॉक्युमेंट' कहते हैं। इसमें इनवेस्टमेंट का उद्देश्य, जोखिम कारक, लोड व अन्य व्यय आदि से जुड़ी पर्याप्त जानकारियां दी गई होती हैं। म्यूचुअल फंड संचालन करने में अडवाइजरी, कस्टोडियल, ऑडिट ट्रांसफर एजेंट व ट्रस्टी फीस और एजेंट कमिशन आदि कई मदों में व्यय होता है, ऑफर डॉक्युमेंट में इन मदों में किए जाने वाले व्यय के बारे में पूरी दी गई होती है। इसके अलावा, यह भी बताया गया होता है कि स्कीम में निवेश करने पर निवेशक को कौन-कौन से शुल्क देने होंगे, जैसे एंट्री लोड, एग्जिट लोड, स्विचिंग चाजेर्ज, रेकरिंग एक्सपेंस आदि