मियाँ गुमसुम को कभी-कभी गुमसुमी के दौरे क्यों आते थे?
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मैंने पहले भी कहा है और आज भी कह रहा हूँ, कि मैं जितनी बातें लिख रहा हूँ, वो मेरी नहीं है, ये बातें’श्रीमदभागवत गीता और पवित्र बाईबल’ से लिया गया है, जो हज़ारों सालों से लोगों के पास रहा है;और उसी के आधार पर आने वाले भविष्य में कौन- सी घटनाएं घटेगी, उसका क्रमबद्ध रुप प्रस्तुत कर रहा हूँ:-1.एक विनाशकारी व्यक्ति का आगमन;2.उस समय संसार में मनुष्यों की स्थिति और विनाश का चिन्ह;3.वर्तमान सृष्टि का अंत;4.सृष्टि के विनाश के बाद, परमेश्वर के अंश का बादलों पर प्रत्यक्ष रूप में आना;5.इस पृथ्वी का नई प्रकृति के रूप में परिवर्तित हो जाना;6.वर्तमान सृष्टि के आरंभ से लेकर अंत तक के मृतकों का पुर्नजीवित हो जाना;7.पुर्नजीवित लोगों का न्याय होना;8.शैतानी ताकत को एक हज़ार साल तक बन्दी बनाया जाना;9.पुर्नजीवित लोगों का परमेश्वर के राज्य में, एक हज़ार साल तक राज्य करना! मनुष्यों की मृत्यु इस प्रकृति में भी है;10.एक हज़ार साल बाद, शैतान का पुनः आना;11.परमेश्वर का उस सृष्टि में आगमन;12.आकाश और पृथ्वी लुप्त हो जायेगी और मनुष्य रूपांतरित हो जायेंगे यानि द्वितीय पुनरूत्थान;13.जीवन-ग्रन्थ के आधार पर मनुष्यों का न्याय होगा… धर्मियों को अनन्त जीवन और विधर्मियों को अनन्त दण्ड मिलेगा यानि द्वितीय मृत्यु! ;14.एक नया आकाश और नई पृथ्वी स्वर्ग से उतरेगी;15.मनुष्यों को अनन्त जीवन प्राप्त होना;यानि मनुष्यों का अमर हो जाना, मनुष्य जीवन यात्रा की समाप्ति!*
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Answer:
मैंने पहले भी कहा है और आज भी कह रहा हूँ, कि मैं जितनी बातें लिख रहा हूँ, वो मेरी नहीं है, ये बातें’श्रीमदभागवत गीता और पवित्र बाईबल’ से लिया गया है, जो हज़ारों सालों से लोगों के पास रहा है;और उसी के आधार पर आने वाले भविष्य में कौन- सी घटनाएं घटेगी, उसका क्रमबद्ध रुप प्रस्तुत कर रहा हूँ:-1.एक विनाशकारी व्यक्ति का आगमन;2.उस समय संसार में मनुष्यों की स्थिति और विनाश का चिन्ह;3.वर्तमान सृष्टि का अंत;4.सृष्टि के विनाश के बाद, परमेश्वर के अंश का बादलों पर प्रत्यक्ष रूप में आना;5.इस पृथ्वी का नई प्रकृति के रूप में परिवर्तित हो जाना;6.वर्तमान सृष्टि के आरंभ से लेकर अंत तक के मृतकों का पुर्नजीवित हो जाना;7.पुर्नजीवित लोगों का न्याय होना;8.शैतानी ताकत को एक हज़ार साल तक बन्दी बनाया जाना;9.पुर्नजीवित लोगों का परमेश्वर के राज्य में, एक हज़ार साल तक राज्य करना! मनुष्यों की मृत्यु इस प्रकृति में भी है;10.एक हज़ार साल बाद, शैतान का पुनः आना;11.परमेश्वर का उस सृष्टि में आगमन;12.आकाश और पृथ्वी लुप्त हो जायेगी और मनुष्य रूपांतरित हो जायेंगे यानि द्वितीय पुनरूत्थान;13.जीवन-ग्रन्थ के आधार पर मनुष्यों का न्याय होगा… धर्मियों को अनन्त जीवन और विधर्मियों को अनन्त दण्ड मिलेगा यानि द्वितीय मृत्यु! ;14.एक नया आकाश और नई पृथ्वी स्वर्ग से उतरेगी;15.मनुष्यों को अनन्त जीवन प्राप्त होना;यानि मनुष्यों का अमर हो जाना, मनुष्य जीवन यात्रा की समाप्ति!*
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