Hindi, asked by aliza112, 9 months ago

मैया कबहिं बढ़ेगी चोटी।
किती बार मोहिं दूध पिवत भई यह अजहूँ है छोटी।।
तू तो कहति बल की बैनी ज्यों है है लांबी मोटी।
काढ़त गुहत न्हवावत ओछत नागिनि-सी भुई लोटी।।
काचो दूध पिवावति पचि-पचि देति न माखन रोटी।
सूर स्याम चिरजीवौ दोउ भैया हरि-हलधर की जोटी।।
सूरदास
Give bhav arth....​

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Answered by satyamshawarn
42

Answer:

अरी मोरी प्यारी मैया! अब तू ही बता न, कि मेरी यह चोटी कब बढ़ेगी...? तेरे कथन के अनुसार मुझे दूध पीते हुए कितना समय हो गया.....लेकिन ये चोटी तो अब तक भी वैसी ही छोटी है......अरी मैया! तू तो कहती थी कि दूध पीने से मेरी यह चोटी दाऊ भैया की चोटी जैसी लंबी व मोटी हो जाएगी...लेकिन यह तो अभी अभी दाऊ भैया कि चोटी से छोटी है.... संभवत: इसीलिए तू मुझे नित्य नहलाकर मेरे केशो को कंघी से संवारती है, मेरी चोटी गूंथती है... जिससे चोटी बढ़कर नागिन जैसी लंबी हो जाए....और मुझे कच्चा दूध भी इसीलिए पिलाती है... अरी मैया ! इस चोटी के ही कारण तू मुझे माखन व रोटी भी नहीं देती....”

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Answered by mandeepkaur09
5

Answer:

मैया कबहिं बढ़ैगी चोटी।

किती बार मोहिं दूध पिवत भई यह अजहूँ है छोटी।। तू तो कहति बल की बैनी ज्यों है है लांबी मोटी।

काढ़त गुहत न्हवावत ओछत नागिनि-सी भंई लोटी।। काचो दूध पिवावति पचि-पचि देति न माखन रोटी।

सूर स्याम चिरजीवौ दोउ भैया हरि-हलधर की जोटी।।

सूरदास

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