Social Sciences, asked by bhoishivkumar12, 5 months ago

म्यांमार को आजादी किसके नेतृत्व मे और कब मिली

Answers

Answered by zobiyasayyed
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Explanation:

आज आंग सन म्यांमार के 'राष्ट्रपिता' कहलाते हैं। आंग सन की सहयोगी यू नू की अगुआई में 4 जनवरी, 1948 में बर्मा को ब्रिटिश राज से आजादी मिली।

Answered by vinod04jangid
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Answer:

4 जनवरी  1948

Explanation:

बर्मा ने 65 साल पहले अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई जीती. अंग्रेज तो चले गए, लेकिन देश पूरी तरह आजाद नहीं हो पाया. हाल ही में हुए राजनीतिक बदलावों को देखते हुए अब एक नई शुरुआत की उम्मीद जगी है.

4 जनवरी 1948 को ब्रिटेन के सैनिकों ने रंगून में संसद से अपना झंडा यूनियन जैक हटा लिया. कुछ ही देर बाद देश का झंडा लहराया गया. एक नीले चौकोर पर छह सफेद सितारों वाला लाल रंग का झंडा. इसके साथ ही देश पर अंग्रेजों का शासन खत्म हुआ और इसके बाद बर्मा एक गणतंत्र के रूप में दुनिया के सामने आया. लेकिन यह झंडा इस बहुसांस्कृतिक देश में हर किसी को पहचान दिलवाने में कामयाब नहीं रहा. विभिन्न सम्प्रदायों के बीच लगातार संघर्ष होते रहे और देश कभी खत्म ना होने वाले विवाद में जा घिरा. कोई सरकार, कोई सेना इस संघर्ष को खत्म करने में कामयाब नहीं हुई. लोग जिस पहचान के लिए लड़ रहे थे वह उन्हें नहीं मिली. डॉयचे वेले से बातचीत में म्यांमार पर रिसर्च करने वाले हंस बेर्न्ड सोएलनर ने कहा, "1948 में जब से देश को आजादी मिली है, तब से वह लगातार गृह युद्ध के साथ ही जी रहा है, जो कि आज तक चल रहा है".1989 में बर्मा का नाम बदल कर म्यांमार रखा गया. नाम जरूर बदला पर देश के हालात नहीं बदले. लेकिन 2010 में जो राजनीतिक बदलाव हुए उन्होंने दुनिया को हैरान कर दिया. बर्मा कैम्पेन के मार्क फार्मानर ने सुधारों का स्वागत किया है, लेकिन साथ ही वह हिंसा के बढ़ते मामलों की ओर भी ध्यान खींचते हैं, "म्यांमार में एक मिली जुली सी छवि देखने को मिलती है. एक तरफ तो प्रभावशाली बदलाव हैं और दूसरी तरफ हमें साम्प्रदायिक हिंसा के बढ़ते मामलों का भी सामना करना पड़ रहा है. एक तरफ तो देश के कुछ हिस्से उन्नति करते दिख रहे हैं, वहीं कुछ ऐसे भी हैं जहां हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं." नए साल के दूसरे ही दिन उत्तर पूर्वी राज्य काचिन में सेना और काचिन इंडेपेंडेंस ऑर्गेनाइजेशन (केआईओ) के बीच झड़पों की खबर आई.

फार्मानर इस बीच आठ बार म्यांमार जा चुके हैं और देश में चल रहे बदलावों को करीब से महसूस कर रहे हैं. उनका कहना है कि वह देश में एक नई शुरुआत की संभावना देखते हैं, "पहले लोग केवल बदलाव से ही खुश थे, लेकिन अब वे सवाल करने लगे हैं." उनका कहना है कि देश में चल रही हिंसा को रोकना बेहद जरूरी है. साथ ही राजनैतिक कैदियों की रिहाई, नए कानून बनाना, सरकारी ढांचे में पारदर्शिता और एक बेहतर जीवनस्तर का होना जरूरी है.

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