माया-ममता किसी को नहीं छू गई है। हर बात में देश, धर्म और कर्त्तव्य की दुहाई देना उन्होंने सीखा है। आखिर इनका बाप भी तो ऐसा ही निर्मम था। 'संस्कार और भावना:- लेखक-विष्णु प्रभाकर
उपर्युक्त वार्तालाप किस संदर्भ में किस-किसके बीच हो रहा है? (2. )2. 'माया-ममता किसी को नहीं छू गई है'-इसका आशय स्पष्ट कीजिए।(2). 3. 'इनका बाप निर्मम था-यह किस घटना से पता चलता है? लिखिए।(3) 4. उपर्युक्त पंक्तियों के आधार पर माँ के विषय में अपने विचार लिखिए।(3
Answers
1. उपर्युक्त वार्तालाप किस संदर्भ में किस-किसके बीच हो रहा है?
➲ उपर्युक्त वार्तालाप एकांकी की मुख्य पात्र ‘माँ’ और छोटी बहू ‘उमा’ के बीच हो रहा है। माँ अपने दोनों के बेटों के व्यवहार के संबंध में शिकायत कर रही है।
2. 'माया-ममता किसी को नहीं छू गई है'-इसका आशय स्पष्ट कीजिए।
➲ ‘माया-ममता किसी को नही छू गई है’ इसका आशय है कि माँ ये कहना चाहती है, कि उसके दोनों बेटों को ना तो धन का मोह है, और ना ही अपने परिवार के प्रति प्रेम है।
3. 'इनका बाप निर्मम था-यह किस घटना से पता चलता है? लिखिए।
➲ ‘इनका बाप निर्मम था’ यह इस घटना से पता चलता है, जब माँ बताती है, कि बचपन में उनका छोटा बेटा अतुल बहुत बीमारी पड़ गया तो उसके बचने की कोई आशा नही रही। तो अतुल के पिता ऐसी स्थिति में भी जरा भी नही रोये। वे भावशून्य रहे।
4. उपर्युक्त पंक्तियों के आधार पर माँ के विषय में अपने विचार लिखिए।
➲ उपरोक्त पंक्तियों के आधार पर माँ के विषय में आकलन करें तो माँ को अपने दोनों बेटों और पति सबसे शिकायत थी। माँ को लगता था कि उसके दोनों बेटे उसकी परवाह नही करते। दोनो अपने पिता पर गये है। उन्हे भी किसी बात की परवाह नही थी।
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संस्कार और भावना नाटक में उमा का चरित्र चित्रण।
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