माया ने कहा कि मैं घर जाओगे ( मिश्रत से सरल वाक्य)
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मिश्र वाक्य की परिभाषा
ऐसे वाक्य जिनमें सरल वाक्य के साथ-साथ कोई दूसरा उपवाक्य भी हो, वे वाक्य मिश्र वाक्य कहलाते हैं।
मिश्र वाक्योँ की रचना एक से अधिक ऐसे साधारण वाक्योँ से होती है, जिनमेँ एक प्रधान वाक्य होता है एवं दूसरा वाक्य आश्रित होता है।
इस वाक्य में मुख्य उद्देश्य और मुख्य विधेय के अलावा एक या अधिक समापिका क्रियाएँ होती हैं।
मिश्र वाक्य में प्रधान वाक्य को आश्रित उपवाक्य से जोड़ने के लिए जो आपस में ‘कि’; ‘जो’; ‘क्योंकि’; ‘जितना’; ‘उतना’; ‘जैसा’; ‘वैसा’; ‘जब’; ‘तब’; ‘जहाँ’; ‘वहाँ’; ‘जिधर’; ‘उधर’; ‘अगर/यदि’; ‘तो’; ‘यद्यपि’; ‘तथापि’; आदि का प्रयोग किया जाता है।
मिश्र वाक्य के उदाहरण
वह कौन–सा मनुष्य है जिसने महाप्रतापी राजा भोज का नाम न सुना हो।
ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा की आप देख सकते हैं यहां एक उपवाक्य नहीं दो दो उपवाक्य हैं। इनमें से एक उपवाक्य प्रधान है एवं दूसरा उपवाक्य आश्रित है।
ऊपर दिए वाक्य में ‘वह कोनसा मनुष्य है’ यह उपवाक्य प्रधान है व ‘जिसने महाप्रतापी राजा भोज का नाम ना सुना हो’ यह वाक्य आश्रित वाक्य है। जैसा की हम देख सकते हैं इस वाक्य में दो विधेय हैं एवं दो विधेय मिश्र वाक्य में होते हैं। अतएव यह उदाहरण मिश्र वाक्य के अंतर्गत आएगा।