Hindi, asked by aghanyadav102, 4 months ago

मियां नसीरुद्दीन की क्या विशेषता थी वह सच्ची तालीम किसे मानते थे​

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Answered by shishir303
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मियाँ नसीरुद्दीन की विशेषतायें...

कृष्णा सोबती द्वारा लिखे गये पाठ में ‘मियाँ नसीरुद्दीन’ मियाँ नसीरुद्दीन का चरित्र बड़ा ही दिलचस्प और रोचक है। एक ऐसे कलाकार माने जा सकते हैं जिनकी कला-कौशल उनके साथ ही लुप्त होने के कगार पर है। वह अपने पारंपरिक-पारिवारिक पेशे में बड़े माहिर हैं। उनकी बात करने का अंदाज भी बड़ा ही दिलचस्प और निराला है। यदि उनसे कोई कुछ सवाल पूछता है तो बदले में वो ही सवाल पूछने लगते हैं और किसी भी सवाल का जवाब बड़ा ही घुमा-फिरा कर देते हैं।  

वह अपने क्षेत्र में खुद को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं। वे खुद को दार्शनिक भी समझते हैं और खुद को सुकरात से कम नहीं समझते हैं। बहुत बोलते भी हैं। पर वे काम से बड़े मेहनती हैं और उनकी मेहनतकशी अनुसरण करने योग्य है। उनकी आंखों में चालाकी भी है, भोलापन भी है। उनके माथे पर यह हुनरमंद कारीगर की तरह के तेवर दिखाई देते हैं। वक्त की मार के साथ वे स्वयं को बढ़ा खानदानी व्यक्ति समझते हैं और उसके लिए तरह-तरह के उदाहरण भी देते हैं।  

मियां नसीरुद्दीन शक्ति तालीम व्यावहारिक शिक्षा को मानते हैं। वह बोलते हैं केवल कागजी ज्ञान से सच्ची तालीम नहीं मिलती है, बल्कि व्यवहारिक रूप से बहुत कुछ सीखना पड़ता है। यदि वे बर्तन मांजना, भट्टी सुलगाना नहीं सीखते तो वह इतनी अच्छी नानबाई नहीं बना पाते। उनके अनुसार केवल कागजी या मुंह बोली जबानी बातों से काम नहीं सीखा जाता है, उसके लिए अपने श्रम करना पड़ता है और व्यवहारिक रूप से कार्य करना पड़ता है।

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Answered by Anonymous
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Explanation:

मियां नसीरुद्दीन सचिता व्यावहारिक अनुभव का मानदेय मैया के अनुसार जब तक कोई आदमी बर्तन मानना भट्टी बनाना भट्टी में आज देना नहीं सीखा था तो बच्ची नाम भी नहीं बन सकता केवल आदेश देने हुक्म चलाने से कोई नाम भाई नहीं बन सकता कर कर ही सीखना पड़ता है यही सच्ची तालीम है

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