Hindi, asked by surbhikatolkar, 3 months ago

मिया नसीरुद्दीन ने आखों के कंचे हम पर फेंक दिए। फिर तर
बोल-“क्या मतलब है।” पूछिए साहब-नानबाई इल्म लेने कहीं
जाएगा ? क्या नगीनासाज के पास ? क्या आईनास के पास ?
मीना साज के पास ? या रफूगर, रंगरेज या तेली-तंबोली से र्स
जाएगा? क्या फरमा दिया साहब यह तो हमारा खानदानी पेश
ठहरा। हॉ, इल्म की बात पूछिए तो जो कुछ भी सीखा अपने व
उस्ताद से ही। मतलब यह कि हम घर से न निकले कि कोई
आख्तियार करेगें । जो बाप-दादा का हुनर था वही उनसे पाया
वालिद मरइम के उठ जाने पर आ बैठे उन्हीं के ठीये पर ।"
(क) नसीरुद्दीन के खानदान का पेशा क्या था ? उसने अपनी
आजीविका के लिए कौन-सा धंधा अपनाया ?
(ख) नसीरुद्दीन ने नानाबाई का धंधा किससे सीखा ?
(ग) उक्त गद्यांश के आधार पर कुछ खानदानी धंधो के नाम गिना
12. निम्नलिखित में से किन्ही तीन प्रश्नों के उत्तर लिखिये-​

Answers

Answered by monosmita
2

Explanation:

1:मियाँ नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा कहा गया है क्योंकि वे साधारण नानबाई नहीं हैं। वे खानदानी नानबाई हैं। अन्य नानबाई रोटी केवल पकाते हैं, पर मियाँ नसीरुद्दीन अपने पेशे को कला मानते है। उनके पास छप्पन प्रकार की रोटियाँ बनाने का हुनर है। वे अपने को सर्वश्रेष्ठ नानबाई बताता है।

2:लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास पत्रकार की हैसियत से गई थी। वे उनकी नानबाई कला के बारे में जानकारी प्राप्त कर उसे प्रकाशित करना चाहती थी।

3:बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही मियाँ नसीरुद्दीन की दिलचस्पी लेखिका की बातों में खत्म होने लगी क्योंकि उन्हें किसी खास बादशाह का नाम मालूम ही न था। वे जो बातें बता रहे थे वे बस सुनी-सुनाई थीं। उस तथ्य में सच्चाई नहीं थी। लेखिका को डींगे मारने के बाद उसे सिद्ध नहीं कर सकते थे l

4:बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही मियाँ नसीरुद्दीन की दिलचस्पी लेखिका की बातों में खत्म होने लगी उसके बाद वे किसी को भट्टी सुलगाने के लिए पुकारने लगे। तभी लेखिका के पूछने पर उन्होंने बताया वे उनके कारीगर हैं। तभी लेखिका के मन में आया के पूछ लें आपके बेटे-बेटियाँ हैं, पर उनके चहेरे पर बेरुखी देखी तो उन्होंने उस विषय में कुछ न पूछना ही ठीक समझा l

5:मियाँ नसीरुद्दीन सत्तर वर्ष की आयु के हैं। मियाँ नसीरुद्दीन का शब्दचित्र लेखिका ने कुछ इस प्रकार खींचा है – लेखिका ने जब दुकान के अंदर झाँका तो पाया मियाँ चारपाई पर बैठे बीड़ी का मजा़ ले रहे हैं। मौसमों की मार से पका चेहरा, आँखों में काइयाँ भोलापन और पेशानी पर मँजे हुए कारीगर के तेवर।

Similar questions