मियां तानसेन कौन सी गायिकी गाते थे?
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plz read the last paragraph
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तानसेन के संगीत के ज्ञान को जल्द ही पहचान लिया गया था. उस समय में हरिदास को ही सबसे बुद्धिमान और सफल शिक्षक माना जाता था.
तानसेन के संगीत के ज्ञान को जल्द ही पहचान लिया गया था. उस समय में हरिदास को ही सबसे बुद्धिमान और सफल शिक्षक माना जाता था.तानसेन ने संगीत की शिक्षा पहले स्वामी हरिदास से ली और बाद में हजरत मुहम्मद गॉस ने उन्हें संगीत सिखाया.
तानसेन के संगीत के ज्ञान को जल्द ही पहचान लिया गया था. उस समय में हरिदास को ही सबसे बुद्धिमान और सफल शिक्षक माना जाता था.तानसेन ने संगीत की शिक्षा पहले स्वामी हरिदास से ली और बाद में हजरत मुहम्मद गॉस ने उन्हें संगीत सिखाया.वो पहले रेवा के राजा रामचंद्र के दरबार में एक संगीतकार थे जिसे बाद में अकबर के नवरत्नों में शामिल कर लिया गया. राजा रामचंद्र तानसेन के जाने से बहुत दुखी हुए.
तानसेन के संगीत के ज्ञान को जल्द ही पहचान लिया गया था. उस समय में हरिदास को ही सबसे बुद्धिमान और सफल शिक्षक माना जाता था.तानसेन ने संगीत की शिक्षा पहले स्वामी हरिदास से ली और बाद में हजरत मुहम्मद गॉस ने उन्हें संगीत सिखाया.वो पहले रेवा के राजा रामचंद्र के दरबार में एक संगीतकार थे जिसे बाद में अकबर के नवरत्नों में शामिल कर लिया गया. राजा रामचंद्र तानसेन के जाने से बहुत दुखी हुए.तानसेन भारत के इतिहास का एक प्रसिद्ध नाम बन गये और उन्होंने कई शाष्त्रीय रागों की रचना की. उनकी राग दीपक और राग मल्हार सबसे ज्यादा प्रसिद्ध थे.
तानसेन के संगीत के ज्ञान को जल्द ही पहचान लिया गया था. उस समय में हरिदास को ही सबसे बुद्धिमान और सफल शिक्षक माना जाता था.तानसेन ने संगीत की शिक्षा पहले स्वामी हरिदास से ली और बाद में हजरत मुहम्मद गॉस ने उन्हें संगीत सिखाया.वो पहले रेवा के राजा रामचंद्र के दरबार में एक संगीतकार थे जिसे बाद में अकबर के नवरत्नों में शामिल कर लिया गया. राजा रामचंद्र तानसेन के जाने से बहुत दुखी हुए.तानसेन भारत के इतिहास का एक प्रसिद्ध नाम बन गये और उन्होंने कई शाष्त्रीय रागों की रचना की. उनकी राग दीपक और राग मल्हार सबसे ज्यादा प्रसिद्ध थे.तानसेन की संगीत रचना में हमें ब्रज और हिंदी भाषा का सम्मिश्रण दिखाई देता है. उन्होंने ज्यादातर भक्ति गीतों की रचना कृष्णा और शिव की भक्ति में ही की है.
तानसेन के संगीत के ज्ञान को जल्द ही पहचान लिया गया था. उस समय में हरिदास को ही सबसे बुद्धिमान और सफल शिक्षक माना जाता था.तानसेन ने संगीत की शिक्षा पहले स्वामी हरिदास से ली और बाद में हजरत मुहम्मद गॉस ने उन्हें संगीत सिखाया.वो पहले रेवा के राजा रामचंद्र के दरबार में एक संगीतकार थे जिसे बाद में अकबर के नवरत्नों में शामिल कर लिया गया. राजा रामचंद्र तानसेन के जाने से बहुत दुखी हुए.तानसेन भारत के इतिहास का एक प्रसिद्ध नाम बन गये और उन्होंने कई शाष्त्रीय रागों की रचना की. उनकी राग दीपक और राग मल्हार सबसे ज्यादा प्रसिद्ध थे.तानसेन की संगीत रचना में हमें ब्रज और हिंदी भाषा का सम्मिश्रण दिखाई देता है. उन्होंने ज्यादातर भक्ति गीतों की रचना कृष्णा और शिव की भक्ति में ही की है.मुगल शासक अकबर ने ही तानसेन को मियां का शीर्षक दिया था और आज भी हम तानसेन को मियां तानसेन के नाम से ही जानते है.
तानसेन के संगीत के ज्ञान को जल्द ही पहचान लिया गया था. उस समय में हरिदास को ही सबसे बुद्धिमान और सफल शिक्षक माना जाता था.तानसेन ने संगीत की शिक्षा पहले स्वामी हरिदास से ली और बाद में हजरत मुहम्मद गॉस ने उन्हें संगीत सिखाया.वो पहले रेवा के राजा रामचंद्र के दरबार में एक संगीतकार थे जिसे बाद में अकबर के नवरत्नों में शामिल कर लिया गया. राजा रामचंद्र तानसेन के जाने से बहुत दुखी हुए.तानसेन भारत के इतिहास का एक प्रसिद्ध नाम बन गये और उन्होंने कई शाष्त्रीय रागों की रचना की. उनकी राग दीपक और राग मल्हार सबसे ज्यादा प्रसिद्ध थे.तानसेन की संगीत रचना में हमें ब्रज और हिंदी भाषा का सम्मिश्रण दिखाई देता है. उन्होंने ज्यादातर भक्ति गीतों की रचना कृष्णा और शिव की भक्ति में ही की है.मुगल शासक अकबर ने ही तानसेन को मियां का शीर्षक दिया था और आज भी हम तानसेन को मियां तानसेन के नाम से ही जानते है.ऐतिहासिक जानकारों के अनुसार अकबर ने तानसेन के पहले कला प्रदर्शन पर इनाम में द
तानसेन के संगीत के ज्ञान को जल्द ही पहचान लिया गया था. उस समय में हरिदास को ही सबसे बुद्धिमान और सफल शिक्षक माना जाता था.तानसेन ने संगीत की शिक्षा पहले स्वामी हरिदास से ली और बाद में हजरत मुहम्मद गॉस ने उन्हें संगीत सिखाया.वो पहले रेवा के राजा रामचंद्र के दरबार में एक संगीतकार थे जिसे बाद में अकबर के नवरत्नों में शामिल कर लिया गया. राजा रामचंद्र तानसेन के जाने से बहुत दुखी हुए.तानसेन भारत के इतिहास का एक प्रसिद्ध नाम बन गये और उन्होंने कई शाष्त्रीय रागों की रचना की. उनकी राग दीपक और राग मल्हार सबसे ज्यादा प्रसिद्ध थे.तानसेन की संगीत रचना में हमें ब्रज और हिंदी भाषा का सम्मिश्रण दिखाई देता है. उन्होंने ज्यादातर भक्ति गीतों की रचना कृष्णा और शिव की भक्ति में ही की है.मुगल शासक अकबर ने ही तानसेन को मियां का शीर्षक दिया था और आज भी हम तानसेन को मियां तानसेन के नाम से ही जानते है.ऐतिहासिक जानकारों के अनुसार अकबर ने तानसेन के पहले कला प्रदर्शन पर इनाम में दतब तानसेन की बेटी को बुलाया गया और उसने मेघमल्हार गीत को गाकर उस आग को बुझाने का काम किया. तानसेन की बेटी भी गाने ME ACCHI THI
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