मायनाके उत्तर दीजिए-
वंशीधर को जैसे रमेश के रूप में साक्षात भगवान मिल गए हों। उनकी आँखों में पानी छलछलाने
लगा। भरे गले से केवल इतना ही कर पाए कि बिरादरी का यही सहारा होता है।
छुट्टियों शेष होने पर रमेश वापिस लौटा तो माँ-बाप और अपनी गाँव की दुनिया से बिछुडकर
सहमा-सहमा ता मोहन भी उसके साथ लखनऊ आ पहुँचा। अब मोहन की जिंदगी का एक नया अध्याय
शुरू हुआ। घर की दोनों महिलाओं, जिन्हें वह चाची और भाभी कहकर पुकारता था, का हाथ बटाने के
अलावा धीरे-धीरे वह मुहल्ले की सभी चाचियों और भाभियों के लिए काम-काज में हाथ बॅटाने का साधन
ख
कहानी तथा लेखक का नाम लिखिए।
वंशीधर को रमेश में साक्षात भगवान के दर्शन क्यों हुए।
विरादरी का यही सहारा होता है? यह कथन कितना सत्य सिद्ध हुआ।
रमेश कौन था? वह मोहन को किस उद्देश्य से लखनऊ ले गया ?
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don't know Hindi sorry
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soon I will give you the ans
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