machini Adhyapak Manvi Adhyapak ka prabhavi Vikalp hai bhashan ke liye Iske Labh
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मशीनी अध्यापक मानवीय अध्यापक का प्रभावी विकल्प नहीं हो सकता।
क्योंकि मानवीय अध्यापक से हम आमने-सामने संवाद का सकते हैं उससे अपनी जिज्ञासा का समाधान कर सकते हैं। मशीनी अध्यापक से हम ऐसा नहीं कर पाते। मशीनी अध्यापक से हम जो पूछते हैं मैं उसका जवाब मिलता है लेकिन हम उससे तर्क वितर्क नहीं कर सकते। मानवीय अध्यापक के जवाब में कोई और जिज्ञासा उत्पन्न होती है तो हम अपने मानवीय अध्यापक से अपनी जिज्ञासा का समाधान कर सकते हैं लेकिन मशीन अध्यापक से ऐसा संभव नहीं हो पाता। हमारे मन के भावों को जो मानवीय अध्यापक समझ सकता है वो मशीनी अध्यापक नही समझ सकता है।
मशीनी अध्यापक से मानवीय संवेदना के आधार पर आत्मीयता नहीं हो सकती जो कि हमारी मानवीय अध्यापक से आत्मीयता हो जाती है।
गुरु और शिष्य का रिश्ता ऐसा ही अनोखा रिश्ता होता है। इसके लिए मशीनी अध्यापक मानवीय अध्यापक का विकल्प नहीं हो सकता। मशीनी अध्यापक से हमारी जिज्ञासा का समाधान तो होता है लेकिन जरूरी नही कि वो बात हमें हर समय याद ही रहे। क्योंकि मशीनी अध्यापक के पढाने का तरीका एक सा ही होता है, जबकि मानवीय अध्यापकों के पढाने का तरीका अलग अलग होता है, जो कभी-कभी इतना रोचक होता है कि उनका द्वारा पढाया गया पाठ लंबे समय के लिये हमारी स्मृति में अंकित हो जाता है। मानवीय अध्यापक हर विद्यार्थी की प्रकृति जानता है, इसलिये वो उस विद्यार्थी की प्रकृति के अनुसार उसे पढाता है ताकि वो सीख सके। जबकि मशीनी अध्यापक सबको एक जैसा ही पढ़ायेगा वो छात्र की मन की भावना को नही समझ सकता।
इसलिए मशीनी अध्यापक मानवीय अध्यापक का प्रभावी विकल्प नही हो सकता।
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मशीनी अध्यापक मानवीय अध्यापक का प्रभावी विकल्प नहीं हो सकता।
क्योंकि मानवीय अध्यापक से हम आमने-सामने संवाद का सकते हैं उससे अपनी जिज्ञासा का समाधान कर सकते हैं। मशीनी अध्यापक से हम ऐसा नहीं कर पाते। मशीनी अध्यापक से हम जो पूछते हैं मैं उसका जवाब मिलता है लेकिन हम उससे तर्क वितर्क नहीं कर सकते। मानवीय अध्यापक के जवाब में कोई और जिज्ञासा उत्पन्न होती है तो हम अपने मानवीय अध्यापक से अपनी जिज्ञासा का समाधान कर सकते हैं लेकिन मशीन अध्यापक से ऐसा संभव नहीं हो पाता। हमारे मन के भावों को जो मानवीय अध्यापक समझ सकता है वो मशीनी अध्यापक नही समझ सकता है।
मशीनी अध्यापक से मानवीय संवेदना के आधार पर आत्मीयता नहीं हो सकती जो कि हमारी मानवीय अध्यापक से आत्मीयता हो जाती है।
गुरु और शिष्य का रिश्ता ऐसा ही अनोखा रिश्ता होता है। इसके लिए मशीनी अध्यापक मानवीय अध्यापक का विकल्प नहीं हो सकता। मशीनी अध्यापक से हमारी जिज्ञासा का समाधान तो होता है लेकिन जरूरी नही कि वो बात हमें हर समय याद ही रहे। क्योंकि मशीनी अध्यापक के पढाने का तरीका एक सा ही होता है, जबकि मानवीय अध्यापकों के पढाने का तरीका अलग अलग होता है, जो कभी-कभी इतना रोचक होता है कि उनका द्वारा पढाया गया पाठ लंबे समय के लिये हमारी स्मृति में अंकित हो जाता है। मानवीय अध्यापक हर विद्यार्थी की प्रकृति जानता है, इसलिये वो उस विद्यार्थी की प्रकृति के अनुसार उसे पढाता है ताकि वो सीख सके। जबकि मशीनी अध्यापक सबको एक जैसा ही पढ़ायेगा वो छात्र की मन की भावना को नही समझ सकता।
इसलिए मशीनी अध्यापक मानवीय अध्यापक का प्रभावी विकल्प नही हो सकता।
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