Machini manav ki duniya vastvik logon ki duniya se kis prakar alag thi
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रोबोट या यंत्र मानव के नाम से जेहन में तस्वीर उभरती है एक इलेक्ट्रॉनिक हाड़ और बिना मांस के पुतले की जो मनुष्यों के निर्देशों पर कार्य करता है। साथ में एक अंदेशा या विलक्षण कल्पना भी होती है कि भविष्य में कोई ऐसा समय न आ जाए जब ये यंत्र मानव मनुष्य की बुद्धि से आगे निकलकर मानव समाज को अपना दास बना लें। आधुनिक रोबोट हमारी कल्पना से अलग विभिन्न आकार-प्रकार के होते हैं। सर्वाधिक प्रचलन में औद्योगिक रोबोट हैं।
जापान के उद्योगों में ढाई लाख रोबोट और दूसरे नंबर पर अमेरिका है जहां दो लाख से ज्यादा रोबोट विभिन्न कारखानों में कार्यरत हैं। सूक्ष्म और जटिल शल्य चिकित्सा में रोबोट का उपयोग एक वरदान सिद्ध हुआ है। जीवित बमों को निष्क्रिय करने में, जमीन के अन्दर बिछी बारूदी सुरंगों को ढूंढने में और नाभिकीय विकिरण वाले खतरनाक और जोखिमभरे क्षेत्रों में रोबोट का उपयोग अत्यधिक कारगर और उपयुक्त माना जाता है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का काम तो बिना रोबोट के चल ही नहीं सकता। दूसरी दुनिया में भेजे जाने वाले यान रोबोट ही हैं जो अपना संचालन स्वयं करते हैं और धरती पर बैठे अपने मालिकों की आज्ञा का पालन करते हैं।
ये चालक रहित यान उड़ सकते हैं, देख सकते हैं और निशानों पर वार कर सकते हैं। इसे उड़ने वाला रोबोट भी कह सकते हैं। रोबोट के इतनी जल्दी प्रचलन में आने के कारण भी स्पष्ट हैं। कल्पना कीजिए एक ऐसे सेवक या अनुचर की जो बिना तर्क किए स्वामी की आज्ञा का पालन करे। न छुट्टी जाए और न ही हड़तालों पर। वेतन बढ़ाने की मांग भी न करे और ऐसा सेवक यदि चौबीसों घंटे अपने कर्तव्य निर्वहन में लगा रहे तो लोकप्रिय तो होगा ही।
रोबोट को बनाने के लिए उसमें पांचों ज्ञानेन्द्रियों के गुणों का होना आवश्यक है। विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक पुर्जों का उपयोग करके रोबोट में ये शक्तियां डाली जाती हैं। जैसे प्रकाश के सेंसर आंखों का काम करते हैं, स्पर्श और दबाव के सेंसर हाथों का काम करते हैं, रासायनिक सेंसर नाक का और ध्वनि के सेंसर कान का काम करते हैं। रोबोट के लिए जरुरी है कि उसमें गति हो उसके लिए इसमें या तो चक्के लगाए जाते हैं या पैरों के सहारे चलाया जाता है। ऊर्जा के लिए बैटरी, बिजली या सौर ऊर्जा का उपयोग होता है। केवल बची बुद्धिमत्ता। यहीं से मनुष्य के सृजन की सीमाएं शुरू होती हैं। रोबोट में कम्प्यूटर प्रोग्राम के माध्यम से उतनी ही सूचनाएं और बुद्धिमत्ता भरी जा सकती हैं जितनी किसी कार्य विशेष के लिए आवश्यक है।
हमारे भविष्य के अधिकांश अनुसंधान अब पूरी तरह रोबोट तकनीक पर ही आधारित होंगें। ये रोबोट ही हैं जो समुद्र की अतल गहराइयों में, हिम शिखरों की बुलंदियों पर, खनन की विपरीत परिस्थितियों में और अंतरिक्ष की ऊंचाइयों पर विभिन्न अनुसंधानों को अंजाम देंगे। रोबोट के माध्यम से मनुष्य ने सपनी सीमित क्षमताओं को विस्तृत किया है। जिस तरह कम्प्यूटर प्रारंभ में केवल उद्योगों और कार्यालयों तक सीमित थे और बाद में हर घर का हिस्सा बन गए उसी तरह अब रोबोट तकनीक का विस्तार होगा और हर घर में रोबोट दैनंदिन के कार्यों में इनसान की मदद करेंगे।
मनुष्य भविष्य में शारीरिक श्रम से परहेज करेगा और श्रमिकों की संख्या भी कम होगी तब रोबोट ही हैं जो मनुष्य की सहायता करेंगें। मनुष्य भी विधाता की एक रोबोट कृति की तरह ही है जो स्वसंचालित, संवेदनशील और बुद्धिमान है, परन्तु बुद्धिमानी, संवेदनशीलता और भावनाएं मनुष्य के विकास क्रम में बहुत बाद के गुण हैं। उसी तरह मनुष्य द्वारा बनाया गया यह कृत्रिम मानव अभी तो विकास के प्रारंभिक चरण में ही है। रोबोटिका के विशेषज्ञ मानते हैं कि सन् 2040 के आते-आते रोबोट में भावनाएं भी भरी जा सकेंगी, हां, केवल तब तक मानव में भावनाएं शेष रहना चाहिए।
यदि हमारे वैज्ञानिक इस तरह के रोबोट बनाने में सफल होते हैं तो शायद यह रोबोट तकनीक का अंतिम चरण होगा, किन्तु इस मंजिल तक पहुंचने में अभी बहुत लम्बा सफ़र तय करना है। मानव विकास के क्रम में रोबोटिकी एक महत्वपूर्ण अध्याय है और यह अध्याय कई और नए रोचक अध्यायों को जन्म देगा। बुजुर्ग पीढ़ी का सौभाग्य है कि वे विज्ञान के इस चमत्कार के आरंभ के साक्षी हैं और युवा पीढ़ी का सौभाग्य है कि वह इस चमत्कार की विकास यात्रा को देखेगी।
जापान के उद्योगों में ढाई लाख रोबोट और दूसरे नंबर पर अमेरिका है जहां दो लाख से ज्यादा रोबोट विभिन्न कारखानों में कार्यरत हैं। सूक्ष्म और जटिल शल्य चिकित्सा में रोबोट का उपयोग एक वरदान सिद्ध हुआ है। जीवित बमों को निष्क्रिय करने में, जमीन के अन्दर बिछी बारूदी सुरंगों को ढूंढने में और नाभिकीय विकिरण वाले खतरनाक और जोखिमभरे क्षेत्रों में रोबोट का उपयोग अत्यधिक कारगर और उपयुक्त माना जाता है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का काम तो बिना रोबोट के चल ही नहीं सकता। दूसरी दुनिया में भेजे जाने वाले यान रोबोट ही हैं जो अपना संचालन स्वयं करते हैं और धरती पर बैठे अपने मालिकों की आज्ञा का पालन करते हैं।
ये चालक रहित यान उड़ सकते हैं, देख सकते हैं और निशानों पर वार कर सकते हैं। इसे उड़ने वाला रोबोट भी कह सकते हैं। रोबोट के इतनी जल्दी प्रचलन में आने के कारण भी स्पष्ट हैं। कल्पना कीजिए एक ऐसे सेवक या अनुचर की जो बिना तर्क किए स्वामी की आज्ञा का पालन करे। न छुट्टी जाए और न ही हड़तालों पर। वेतन बढ़ाने की मांग भी न करे और ऐसा सेवक यदि चौबीसों घंटे अपने कर्तव्य निर्वहन में लगा रहे तो लोकप्रिय तो होगा ही।
रोबोट को बनाने के लिए उसमें पांचों ज्ञानेन्द्रियों के गुणों का होना आवश्यक है। विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक पुर्जों का उपयोग करके रोबोट में ये शक्तियां डाली जाती हैं। जैसे प्रकाश के सेंसर आंखों का काम करते हैं, स्पर्श और दबाव के सेंसर हाथों का काम करते हैं, रासायनिक सेंसर नाक का और ध्वनि के सेंसर कान का काम करते हैं। रोबोट के लिए जरुरी है कि उसमें गति हो उसके लिए इसमें या तो चक्के लगाए जाते हैं या पैरों के सहारे चलाया जाता है। ऊर्जा के लिए बैटरी, बिजली या सौर ऊर्जा का उपयोग होता है। केवल बची बुद्धिमत्ता। यहीं से मनुष्य के सृजन की सीमाएं शुरू होती हैं। रोबोट में कम्प्यूटर प्रोग्राम के माध्यम से उतनी ही सूचनाएं और बुद्धिमत्ता भरी जा सकती हैं जितनी किसी कार्य विशेष के लिए आवश्यक है।
हमारे भविष्य के अधिकांश अनुसंधान अब पूरी तरह रोबोट तकनीक पर ही आधारित होंगें। ये रोबोट ही हैं जो समुद्र की अतल गहराइयों में, हिम शिखरों की बुलंदियों पर, खनन की विपरीत परिस्थितियों में और अंतरिक्ष की ऊंचाइयों पर विभिन्न अनुसंधानों को अंजाम देंगे। रोबोट के माध्यम से मनुष्य ने सपनी सीमित क्षमताओं को विस्तृत किया है। जिस तरह कम्प्यूटर प्रारंभ में केवल उद्योगों और कार्यालयों तक सीमित थे और बाद में हर घर का हिस्सा बन गए उसी तरह अब रोबोट तकनीक का विस्तार होगा और हर घर में रोबोट दैनंदिन के कार्यों में इनसान की मदद करेंगे।
मनुष्य भविष्य में शारीरिक श्रम से परहेज करेगा और श्रमिकों की संख्या भी कम होगी तब रोबोट ही हैं जो मनुष्य की सहायता करेंगें। मनुष्य भी विधाता की एक रोबोट कृति की तरह ही है जो स्वसंचालित, संवेदनशील और बुद्धिमान है, परन्तु बुद्धिमानी, संवेदनशीलता और भावनाएं मनुष्य के विकास क्रम में बहुत बाद के गुण हैं। उसी तरह मनुष्य द्वारा बनाया गया यह कृत्रिम मानव अभी तो विकास के प्रारंभिक चरण में ही है। रोबोटिका के विशेषज्ञ मानते हैं कि सन् 2040 के आते-आते रोबोट में भावनाएं भी भरी जा सकेंगी, हां, केवल तब तक मानव में भावनाएं शेष रहना चाहिए।
यदि हमारे वैज्ञानिक इस तरह के रोबोट बनाने में सफल होते हैं तो शायद यह रोबोट तकनीक का अंतिम चरण होगा, किन्तु इस मंजिल तक पहुंचने में अभी बहुत लम्बा सफ़र तय करना है। मानव विकास के क्रम में रोबोटिकी एक महत्वपूर्ण अध्याय है और यह अध्याय कई और नए रोचक अध्यायों को जन्म देगा। बुजुर्ग पीढ़ी का सौभाग्य है कि वे विज्ञान के इस चमत्कार के आरंभ के साक्षी हैं और युवा पीढ़ी का सौभाग्य है कि वह इस चमत्कार की विकास यात्रा को देखेगी।
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it have machines hahbbajnana
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