madak padarth ko rokne ke liye mata pita ko kya krna chahiye
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मादक पदार्थों के सेवन से उत्पन्न स्थिति को दव्य मादकता (Substance intoxication) कहते हैं।
व्यसन शब्द अंग्रेजी के ‘एडिक्ट‘ शब्द का रूपान्तरण है जिससे शारीरिक निर्भरता की स्थिति प्रकट हेती है। व्यसन का अभिप्राय शरीर संचालन के लिए मादक पदार्थ का नियमित प्रयोग करना है अन्यथा शरीर के संचालन में बाधा उत्पन्न होती है। व्यसन न केवल एक विचलित व्यवहार है अपितु एक गम्भीर सामाजिक समस्या भी है। तनावों, विशदों, चिन्ताओं एवं कुण्ठाओं से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति कई बार असामाजिक मार्ग अपनाकर नशों की और बढ़ने लगता है, जो कि उसे मात्र कुछ समय के लिए उसे आराम देते हैं। किसी प्रकार का व्यसन (नशा) न केवल व्यक्ति की कार्यक्षमता को कम करता है अपितु यह समाज और राष्ट्र दोनों के लिए हानिकारक है। नशीले पदार्थो की प्राप्ति हेतु व्यक्ति, घर, मित्र और पड़ोस तकमें चोरी एवं अपराधी क्रियाओं को अंजाम देने लगता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से देखा जाए तो व्यसन विभिन्न बिमारियों को आमंत्रण देता है। राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर यह तस्करी, आतंकवाद एवं देशद्रोही गतिविधियों को बढ़ावा देता है। सामाजिक दृष्टि से जुआ, वेश्यावृति, आतंकवाद, डकैती, मारपीट, दंगे अनुशासनहीनता जैसी सामाजिक समस्याएँ व्यसन से ही संबंधित हैं। व्यसनी व्यक्ति दीर्घकालीन नशों की स्थिति में उन्मत्त रहता है तथा नशीले पदार्थ पर व्यक्ति मानसिक एवं शारीरिक तौर पर पूर्णतया आश्रित हो जाता है, जिसके हानिकारक प्रभाव केवल व्यक्ति ही नहीं अपितु उसके परिवार और समाज पर भी पड़ते हैं।
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