Hindi, asked by ritikasingh71, 20 days ago

madhpan band ghar ghar anand nibandh​

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Answered by nagalaxmi9688
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Answered by mithu456
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Answer:

वर्तमान समय में भारत में निषेध का तात्पर्य शराब और ड्रग्स पर प्रतिबंध या उसके व्यवस्थित प्रयोग से है क्योंकि यह पदार्थ अत्यधिक नशा देने वाले होते हैं। नशीले पदार्थों के सेवन से हानियां : अति सदा विनाशकारी होती है। जब शराब का अति प्रयोग हुआ तो लत पड़ गई। इस अत्यधिक शराब ने विष बनकर तन-मन को खोखला कर दिया।

निबंध :मद्यपान , घर-घर आनंदआनंद

भूमिका: एक सामाजिक बुराई है, यह ना केवल व्यक्ति के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करती है बल्कि उसका पारिवारिक एवं सामाजिक जीवन भी नष्ट होता है। मद्यपान करना यानी मदिरापान करना एक व्यसन माना जाता है, जो व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।

मद्य निषेध की परिभाषा:

वे पदार्थ जिनके सेवन से मानसिक विकृति उत्पन्न होती है नशीले या मादक द्रव्य कहलाते हैं। नशीली वस्तुओं पर प्रतिबंध या इनका व्यवस्थित प्रयोग मद्य निषेध है। किसी प्रकार के अधिकार, प्रवृत्ति, बल आदि मनोविकार की अधिकता, तीव्रता या प्रबलता के कारण उत्पन्न होने वाली अनियंत्रित या असंतुलित मानसिक अवस्था नशा होता है जैसे - जवानी का नशा, दौलत का नशा या इनको व्यवस्थित रूप देना नशा बंदी है।

मादक द्रव्यों के प्रकार व दुष्प्रभाव :

मादक द्रव्य कौन से हैं जिनसे मानसिक स्थिति विकृत हो जाती है? वह पदार्थ हैं शराब, अफीम, गांजा, भांग, चरस, ताड़ी, कोकीन आदि। कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञ तंबाकू, चाय और बीड़ी-सिगरेट को भी इस सूची में सम्मिलित करते हैं। वर्तमान समय में भारत में मद्य निषेध का तात्पर्य शराब और ड्रग्स पर प्रतिबंध या उसके व्यवस्थित प्रयोग से है

शराबबंदी पर कानून

धारा 21 द्वारा संविधान ने राज्यों को अधिकार दिया है कि वह सार्वजनिक सम्मति के अनुसार शराबबंदी के नियमों को बनाए। भारतवर्ष में भी इस विषय में तीव्र मतभेद है कि क्या शराबबंदी को कानून द्वारा बंद करना उचित है या सार्वजनिक सम्मति उत्पन्न करके सामाजिक सुधार के रूप में इसे धीरे-धीरे प्रचलित करना चाहिए।

नशीले पदार्थों के सेवन से हानियां

नशीले पदार्थों के सेवन से हानियां : अति सदा विनाशकारी होती है। जब शराब का अति प्रयोग हुआ तो लत पड़ गई। इस अत्यधिक शराब ने विष बनकर तन-मन को खोखला कर दिया। आंतों को सुखा दिया, किडनी और लीवर को दुर्बल और असहाय बना दिया। परिणामस्वरूप अनेक बीमारियां बिना मांगे ही शरीर से चिपट गई। ड्रग्स ने तो शरीर के हाजमे की शक्ति को ही नष्ट कर डाला और उसके अभाव में पेट पीड़ा का असाध्य रोग दे दिया जो व्यक्ति को दुर्बल कर देता है।

शराब: एक सामाजिक कलंक:

यदि आप शराब का सेवन करते हैं तो आप एक शानदार इंसान है, और आप खुद भी देखेंगे कि आपके साथ रहने वालों की संख्या हमेशा काफी ज्यादा होती है वहीं दूसरी तरफ अगर आप शराब से दूरी बना कर रखते हैं तो लोग भी स्वतः ही आपसे दूर होते जाते हैं।

नशा करने या मद्यपान करने से अनेक दुर्गुण उत्पन्न होते हैं। :

नशे में धुत होकर नशेड़ी अपना होश खो बैठता है, विवेक खो बैठता है। बच्चों को पीटता है, पत्नी की दुर्दशा करता है। लड़खड़ाते पैरों से मार्ग तय करता है, ऊल-जलूल बकता है। कोई ड्राइवर शराब पीकर जब गाड़ी चलाता है तो दूसरों के जान के लिए खतरनाक सिद्ध होता है। परिणामस्वरूप लाखों घर उजड़ जाते हैं. कई लोग बर्बाद हो जाते हैं।

निष्कर्षनिष्कर्षनिष्कर्ष

आम नागरिक हो या फिर सरकार सभी को इस दिशा में गंभीरता से सोचना चाहिए और एक ठोस कदम उठाना चाहिए। जब हर कोई जानता है कि शराब का सेवन फलदायी नहीं है और इससे सिर्फ अपराध, समस्या और नुकसान की स्थिति ही उत्पन्न होती है तो आखिर इसे समाज में जगह दी ही क्यों जाए। निश्चित रूप से शराबबंदी को लेकर ठोस कदम उठाया जाना चाहिए वो भी राष्ट्रिय स्तर पर।

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