madhur vachan se sambandhit vibhin kaviyon ke dohe with their name
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1। एसी वाणी बोलिए मन का आपा खोए।
औरन को शीतल करै, आपहु शीतल होय || ( कबीर)
2। मधुर वचन है औषधी कुटिल वचन है तीर।
श्रवन द्वार से सबंरे सोले सकल शरीर ।।
3। मधुर वचन ते जात मिट, उत्तम जन अभिमान ।
तनिक सीत जल सों मिटै, जैसे दूध उफान ।।(वृन्द)
4।दोनो रहिमन एक से, जौ लौं बोलत नाही ।
जान परत हैं काक पिक, ऋतू बसंत के माहीं ।।(रहिम)
5। कागा काको धन हरै कोयल काको देत ।
मीठा शब्द सुनाय के, जग अपनी करि लेत ।।(कबीर )
6।तुलसी खल बानी मधुर, मुनि समुझिअ हियं हेरि।
राम राज बाधक भई, मूड मंथरा चेरि।।(तुलसीदास )
7। शब्द बराबर धन नहीं , जो कोय जानै बोल ।
हीरा तो दामों मिलै, सब्दहिं मोल न तोल ।।
8। रहीमन जिभ्या बावरी, कह गई सरग पाताल।
आप तो भीतर रही, जूते खात कपाल ।।(रहिम)
9। खीरासर ते काट के मलये नमक लगाय।
रहीमन कड़ते भुखेन की यह ही एक उपाय।। (रहिम)
10। वंशी करण एक मंत्र है तजियं वचन कठोर।
तुलसी मीठे वचन से सुबत उपजे चँहू और।। (तुलसीदास )
औरन को शीतल करै, आपहु शीतल होय || ( कबीर)
2। मधुर वचन है औषधी कुटिल वचन है तीर।
श्रवन द्वार से सबंरे सोले सकल शरीर ।।
3। मधुर वचन ते जात मिट, उत्तम जन अभिमान ।
तनिक सीत जल सों मिटै, जैसे दूध उफान ।।(वृन्द)
4।दोनो रहिमन एक से, जौ लौं बोलत नाही ।
जान परत हैं काक पिक, ऋतू बसंत के माहीं ।।(रहिम)
5। कागा काको धन हरै कोयल काको देत ।
मीठा शब्द सुनाय के, जग अपनी करि लेत ।।(कबीर )
6।तुलसी खल बानी मधुर, मुनि समुझिअ हियं हेरि।
राम राज बाधक भई, मूड मंथरा चेरि।।(तुलसीदास )
7। शब्द बराबर धन नहीं , जो कोय जानै बोल ।
हीरा तो दामों मिलै, सब्दहिं मोल न तोल ।।
8। रहीमन जिभ्या बावरी, कह गई सरग पाताल।
आप तो भीतर रही, जूते खात कपाल ।।(रहिम)
9। खीरासर ते काट के मलये नमक लगाय।
रहीमन कड़ते भुखेन की यह ही एक उपाय।। (रहिम)
10। वंशी करण एक मंत्र है तजियं वचन कठोर।
तुलसी मीठे वचन से सुबत उपजे चँहू और।। (तुलसीदास )
agam5:
I am very thankful of you !!!!!
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