Madhuruthu kavitha summary in Hindi
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कविता का सारांश कवि को लगता है मधुर वसंतऋतु पथ भूलकर दो दिन के लिए आ गई है। दुःख के इन दिनों में साथी बनकर आई वसंतऋतु को कवि कुटिया बनाकर उसमें बसाना चाहता है। आकाश और धरती के बीच प्रेम का नीड़ स्थित है। सूखे तिनके जैसे फालतू चीज़ों को वसंत के आगमन पर यहाँ कोई स्थान नहीं है। उन्हें शिशिर के पतझड़ में भाग जाना है। पेड-पौधों पर नये-नये पल्लव खिल रहे हैं। पल्लवों से भरे संसार सबको अच्छा लग रहा है।
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