Hindi, asked by harish99sen, 1 month ago

मगर कोठारी में बैठने की देर थी कि ऑखों में छल-छल ऑसू बहने लगे। दुपटटे से बार-बार उन्हें पोंछती पर वे बार बार उमड़ आते, जैसे बरसों का बांध तोड़कर उमड़ आये हों। माँ ने बहुतेरा दिल को समझाया, हाथ जोड़े, भगवान का नाम लिया, बेटे के चिरायु होने की प्रार्थना की । व्याख्या करें।​

Answers

Answered by sharmamonika925
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Answer:

Explanation:

इस पाठ में लेखक कहना चाहता है कि अतिथि हमेशा भगवान् नहीं होते क्योंकि लेखक के घर पर आया हुआ अतिथि चार दिन होने पर भी जाने का नाम नहीं ले रहा है। पाँचवे दिन लेखक अपने मन में अतिथि से कहता है कि यदि पाँचवे दिन भी अतिथि नहीं गया तो शायद लेखक अपनी मर्यादा भूल जाएगा। इस पाठ में लेखक ने अपनी परेशानी को पाठको  से साँझा किया है -

Answered by utsrashmi014
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Answer

इस पाठ में लेखक दर्शाना चाहते है कि महमान या अतिथि हमेशा भगवान नहीं होता क्योंकि लेखक के घर पर आया हुआ महमान को आए हुए चार दिन हो चुके थे पर किए भी वह जाने का नाम ही नहीं ले रहा है । अब न रह सकता लेखक पाँचवे दिन पर लेखक अतिथि को मे कहता है कि मन अगर यह अतिथि पाँचवे दीन भी अगर घर नहीं गया तो लेखक अपनी मर्यादा भूल जाएगा ।

यह पर लेखक अपनी स्थिति दर्शाता है।

#SPJ3

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