Hindi, asked by chhonkararzu987, 2 months ago

मगर उदास होना बेकार है। अशोक आज भी उसी मौज में है, जिसमें आज से दो हजार वर्ष
पहले था। कहीं भी तो कुछ नहीं बिगड़ा है, कुछ भी तो नहीं बदला है। बदली है मनुष्य की
मनोवृत्ति। यदि बदले बिना वह आगे बढ़ सकती तो शायद वह भी नहीं बदलती। और
यदि वह न बदलती और व्यावसायिक संघर्ष आरम्भ हो जाता-मशीन का रथ घर्घर चल
पड़ता। विज्ञान का सावेग धावन चल निकलता तो बड़ा बुरा होता।
(क) लेखक के अनुसार किसमें परिवर्तन हुआ है?
(ख) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।
(ग) 'मनोवृत्ति' और 'धावन' शब्दों का आशय लिखिए।
(घ) अशोक आज भी उसी मौज में क्यों है?
(ङ) उपर्युक्त गद्यांश में पाठ का शीर्षक एवं लेखक का नाम लिखिए।
नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-​

Answers

Answered by shishir303
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(क) लेखक के अनुसार किसमें परिवर्तन हुआ है?

➲ लेखक के अनुसार मनुष्य की मनोवृत्ति में परिवर्तन हुआ है।

(ख) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।

➲ रेखांकित अंशों की व्याख्या आज से 2000 वर्ष समय से अब तक जो भी परिवर्तन हुए हैं, उसमें सबसे बड़ा परिवर्तन ये है कि मनुष्य की मनोवृत्ति बदली है। यदि वह नहीं बदलती तो आगे बढ़ना संभव नहीं था।

(ग) 'मनोवृत्ति' और 'धावन' शब्दों का आशय लिखिए।

➲ मनोवृत्ति से आशय मन की वृत्ति यानि सोच से है।

धावन शब्द से आशय धोने कि क्रिया से है।

(घ) अशोक आज भी उसी मौज में क्यों है?

➲ अशोक आज भी मौज में इसलिए है क्योंकि आज से 2000 वर्ष पूर्व अशोक का वृक्ष जिस स्थिति में खड़ा था, आज भी उसी स्थिति में खड़ा है। समय के परिवर्तन का उस पर कोई असर नहीं हुआ है, इसीलिए वह आज भी मौज में है।

(ङ) उपर्युक्त गद्यांश में पाठ का शीर्षक एवं लेखक का नाम लिखिए।

➲ इस गद्यांश का शीर्षक अशोक के फूल है और इस गद्यांश के पाठ के लेखक का नाम हजारी प्रसाद द्विवेदी है।

Answered by akshitpandit2005
0

Answer:मगर उदास होना भी बेकार है। अशोक आज भी उसी मौज में है, जिसमें आज से दो हजार वर्ष पहले था। कहीं भी तो कुछ नहीं बिगड़ा है, कुछ भी तो नहीं बदला है। बदली है मनुष्य की मनोवृत्ति । यदि बदले बिना वह आगे बढ़ सकती तो शायद वह भी नहीं बदलती। और यदि वह न बदलती और व्यावसायिक संघर्ष आरम्भ हो जाता — मशीन का रथ घर्घर चल पड़ता-विज्ञान का सावेग धावन चल निकलता, तो बड़ा बुरा

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