महाभोज उपन्यास की प्रासंगिकता प्रकाश डालिये
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महाभोज मन्नू भंडारी द्वारा लिखा गया एक हिंदी उपन्यास है। उपन्यास में अपराध और राजनीति के गठजोड़ का यथार्थवादी चित्रण किया गया है।
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महाभोज उपन्यास की प्रासंगिकता प्रकाश डालिये।
'महाभोज' उपन्यास भंडारी द्वारा लिखित एक सामाजिक उपन्यास है, जो कि एक संवेदनशील घटना पर क्रेंदित है। इस उपन्यास का प्रकाशन 1979 में हुआ था। इस उपन्यास के माध्यम से अपराध और राजनीति गठजोड़ को दिखाया गया है।
उपन्यास में सरोहा नामक एक गाँव में विशेसर नामक एक दलित व्यक्ति के आकस्मिक मौत की घटना के इर्द-गिर्द इस उपन्यास का कथानक रचा गया है। कुछ समय पहले ही कुछ हरिजनों को गाँव में जिंदा जला दिया गया था। उसके बाद विशेसर की आकस्मिक मौत ने राजनीति के क्षेत्र में हलचल मचा दी।
इस संवेदनशील घटना को राजनीति, नौकरशाही और मीडिया ने किस तरह अपनी-अपनी सहूलियत के अनुसार पेश किया। इस उपन्यास के मामले में इसी बात को स्पष्ट किया गया है।
इस उपन्यास के माध्यम से ये बताने का प्रयत्न किया गया है कि किसी भी संवेदनशील को चाहे राजनीतिक नेता हों, नौकरशाही हो या मीडिया हो अपने-अपने हित के अनुसार पेश करते हैं। वे निजी स्वार्थ के लिए घटना अपने-अपने अनुसार पेश करते हैं।
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