महाभारत के सबक यदि हम द्रोणाचाय की बात करें तो कौन सा सबक ठीक लगता है द्रोणाचार्य की तरह
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Answer:
द्रोणाचार्य ऋषि भारद्वाज तथा घृतार्ची नामक अप्सरा के पुत्र तथा धर्नुविद्या में निपुण परशुराम के शिष्य थे।[1] कुरू प्रदेश में पांडु के पाँचों पुत्र तथा धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों के वे गुरु थे। महाभारत युद्ध के समय वह कौरव पक्ष के सेनापति थे। गुरु द्रोणाचार्य के अन्य शिष्यों में एकलव्य का नाम उल्लेखनीय है। उसने द्रोणाचार्य द्वारा गुरु दक्षिणा माँगे जाने पर अपने दाएं हाथ का अंगूठा काट कर दे दिया। कौरवों और पांडवों ने द्रोणाचार्य के आश्रम मे ही अस्त्रों और शस्त्रों की शिक्षा पाई थी। अर्जुन द्रोणाचार्य के प्रिय शिष्य थे। वे अर्जुन को विश्व का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनाना चाहते थे।[2]
Explanation:
जीवन हो योजनाओं से भरा :
संगत और पंगत हो अच्छी
दोस्त और दुश्मन की पहचान करना सीखें
हथियार से ज्यादा घातक बोल वचन
जुए-सट्टे से दूर रहो
सदा सत्य के साथ रहो
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