Hindi, asked by mitesh6, 1 year ago

महाभारत कथा : परशुराम ने कर्ण को श्राप क्‍यों दिया?

Answers

Answered by jkanhaiya523
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Answer:

यह देखकर भगवान परशुराम गुस्से में कहते हैं, “इतनी सहनशीलता सिर्फ किसी क्षत्रिय में ही हो सकती है। तुमने मुझसे झूठ बोलकर ज्ञान हासिल किया है, इसलिए मैं तुम्हें श्राप देता हूं कि जब भी तुम्हें मेरी दी हुई विद्या की सबसे ज्यादा जरूरत होगी, उस समय वह काम नहीं आएगी।”

Explanation:

कर्ण को बचपन से ही धनुर्धर बनने की चाहता थी, लेकिन सूत पुत्र होने के कारण कोई उन्हें शिक्षा नहीं देता था। जब वह धनुर विद्या सीखने के लिए गुरु द्रोणाचार्य के पास जाते हैं, तो वह भी कर्ण के सूत पुत्र होने के कारण उसे धनुर विद्या देने से मना कर देते हैं। इससे कर्ण निराश होकर भगवान परशुराम के पास पहुंच जाते हैं, लेकिन भगवान परशुराम भी सिर्फ ब्राह्मणों को ही विद्या देते थे। अब कर्ण किसी भी तरह से धनुर विधा सीखना चाहता था, तो वह भगवान परशुराम से झूठ बोलता है कि वह ब्राह्मण है। भगवान परशुराम भी कर्ण को ब्राह्मण समझकर उसे शिक्षा देने लगते हैं।

जब कर्ण की शिक्षा खत्म होने वाली होती है, तब एक दिन उनके गुरु भगवान परशुराम दोपहर के समय कर्ण की जंघा पर सिर रखकर आराम कर रहे होते हैं। थोड़े समय बाद वहां एक बिच्छू आता है, जो कर्ण के जंघा पर काट लेता है। अब कर्ण सोचता है कि अगर वह हिला या बिच्छू को हटाने की कोशिश की, तो गुरु परशुराम की नींद टूट जाएगी। इसलिए, वह बिच्छू को हटाने की बजाय उसे डंक मारने देता है। कर्ण काफी समय तक बिच्छू के डंक से होने वाले दर्द को सहता रहता है।

फिर जब कुछ समय बाद गुरु परशुराम नींद से उठते हैं, तो वह देखते हैं कि कर्ण के जांघ से खून बह रहा है। यह देखकर भगवान परशुराम गुस्से में कहते हैं, “इतनी सहनशीलता सिर्फ किसी क्षत्रिय में ही हो सकती है। तुमने मुझसे झूठ बोलकर ज्ञान हासिल किया है, इसलिए मैं तुम्हें श्राप देता हूं कि जब भी तुम्हें मेरी दी हुई विद्या की सबसे ज्यादा जरूरत होगी, उस समय वह काम नहीं आएगी।”

इससे निराश होकर कर्ण अपने गुरु से कहता है कि वह स्वयं नहीं जानता कि वह किस वंश और कुल का है। ऐसे में वह सारी बातें अपने गुरु परशुराम को बताते हैं। यह जानने के बाद भगवान परशुराम को श्राप देने पर पछतावा होता है, लेकिन दिया हुआ श्राप वापस नहीं लिया जा सकता था। इसलिए, वह अपना विजय धनुष कर्ण को वरदान के रूप में देते हैं। इसके बाद कर्ण भगवान परशुराम के आश्रम से विदा लेते हैं।

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Answered by ashokanagadi
6

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