Hindi, asked by SK271265, 4 days ago

महाभारत में अपने प्रिय चरित्र के बारे में लिखिए​

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Answered by tajit9914
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अर्जुन- राजा पांडु के धर्मपुत्र और देवराज इंद्र के पुत्र अर्जुन की माता का नाम कुंती था। भगवान श्रीकृष्ण के सखा और उनकी ही बहन सुभद्रा के पति अर्जुन को ही गीता का उपदेश दिया गया था। द्रौपदी से जन्मे अर्जुन के पुत्र का नाम श्रुतकर्मा था। द्रौपदी के अलावा अर्जुन की सुभद्रा, उलूपी और चित्रांगदा नामक 3 और पत्नियां थीं।

Answered by palaksoni5274
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महाभारत महाभारत में यूं तो हजारों किरदार हैं, लेकिन यहां प्रस्तुत है उन लोगों के बारे में संक्षिप्त परिचय जिनका महाभारत के युद्ध से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से संबंध रहा है। वह भी जिनकी महाभारत में ज्यादा चर्चा होती है।

कृष्ण- वसुदेव और देवकी की 8वीं संतान और भगवान विष्णु के 8वें अवतार जिन्होंने अपने दुष्ट मामा कंस का वध किया था। भगवान कृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र युद्ध के प्रारंभ में गीता उपदेश दिया था। कृष्ण की 8 पत्नियां थीं, यथा रुक्मणि, जाम्बवंती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रबिंदा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा। श्रीकृष्ण के लगभग 80 पुत्र थे। उनमें से खास के नाम हैं- प्रद्युम्न, साम्ब, भानु, सुबाहू आदि। साम्ब के कारण ही कृष्ण कुल का नाश हो गया था। साम्ब ने दुर्योधन की पुत्री लक्ष्मणा से विवाह किया था।

भीष्म- 8 वसुओं में से एक और शांतनु एवं गंगा के पुत्र भीष्म का नाम देवव्रत था। जब देवव्रत ने अपने पिता की प्रसन्नता के लिए आजीवन ब्रह्मचारी रहने का प्रण लिया, तब से उनका नाम भीष्म हो गया। उनके पिता की दूसरी पत्नी का नाम सत्यवती था, जो निषाद कन्या थीं।

द्रोण- भारद्वाज ऋषि की संतान थे। द्रोणाचार्य का विवाह कृपाचार्य की बहन कृपि से हुआ था जिससे उनको एक पुत्र मिला जिसका नाम अश्वत्थामा था। गुरु द्रोणाचार्य ने शपथ ली थी कि मैं हस्तिनापुर के राजकुमारों को ही शस्त्र विद्या सिखाऊंगा इसीलिए उन्होंने एकलव्य को अपना शिष्य बनाने से इंकार कर दिया था। युद्ध में द्रौपदी के भाई धृष्टद्युम्न ने एक छल से द्रोणाचार्य का वध कर दिया था।

नकुल- अश्विन कुमार और माद्री के पुत्र नकुल के धर्मपिता पांडु थे। मद्रदेश के राजा शल्य नकुल-सहदेव के सगे मामा थे। नकुल ने अश्‍व विद्या और चिकित्सा में भी निपुणता हासिल की थी। द्रौपदी से उनके शतानीक नाम के एक पुत्र भी हुए। द्रौपदी के अलावा नकुल की करेणुमती नामक पत्नी थीं। करेणुमती से निरमित्र नामक पुत्र का जन्म हुआ। करेणुमती चेदिराज की राजकुमारी थीं।

सहदेव- अश्विनकुमार और माद्री के पुत्र सहदेव के धर्मपिता पांडु थे। सहदेव पशुपालन शास्त्र, चिकित्सा और ज्योतिष शास्त्र में दक्ष होने के साथ ही त्रिकालदर्शी भी थे। सहदेव की कुल 4 पत्नियां थीं- द्रौपदी, विजया, भानुमति और जरासंध की कन्या। द्रौपदी से श्रुतकर्मा, विजया से सुहोत्र पुत्र की प्राप्ति हुई। इसके अलावा इनके 2 पुत्र और थे जिसमें से एक का नाम सोमक था।

कृपाचार्य- हस्तिनापुर के ब्राह्मण गुरु और अश्वत्थामा के मामा। इनकी बहन 'कृपि' का विवाह द्रोणाचार्य से हुआ था। महाभारत के युद्ध में कृपाचार्य बच गए थे, क्योंकि उन्हें चिरंजीवी रहने का वरदान था। कृपाचार्य अश्वत्थामा के मामा और कौरवों के कुलगुरु थे। महाभारत युद्ध में कृपाचार्य कौरवों की ओर से सक्रिय थे। वे आज भी जीवित हैं।

युयुत्सु- महाराज धृतराष्ट्र के एक पुत्र युयुत्सु ने पांडवों की ओर से लड़ाई की थी। महाभारत महाकाव्य में 'युयुत्सु' राजा धृतराष्ट्र के वैश्य दासी महिला से उत्पन्न पुत्र थे। माना जाता है कि युयुत्सु के वंशज आज भी मौजूद हैं। महाभारत के युद्ध में युयुत्सु ने पांडवों के लिए हथियारों की आपूर्ति और रखरखाव का कार्य किया था।

कृतवर्मा- कृतवर्मा यादव थे और यह भोजराज ह्रदिक के पुत्र तथा कौरव पक्ष के अतिरथी योद्धा थे। मथुरा पर आक्रमण के समय श्रीकृष्ण ने कृतवर्मा को पूर्वी द्वार की रक्षा का भार सौंपा था। कृतवर्मा ने बाण के मंत्री कूपकर्ण को हराया था। श्रीकृष्ण ने कृतवर्मा को हस्तिनापुर भी भेजा था, जहां ये पांडवों, द्रोण तथा विदुर आदि से मिले थे और मथुरा जाकर श्रीकृष्ण को सारा हाल बताया था। कृतवर्मा ने शतधंवा की सहायता करना अस्वीकार किया था। यादवों की आपसी लड़ाई में सात्‍यकि ने कृतवर्मा का सिर धड़ से अलग कर दिया था।

सात्यकि- महाभारत युद्ध में सात्यकि पांडवों की ओर से लड़ने वाले यादव योद्धा थे। सात्यकि ने कौरवों के अनेक उच्च कोटि के योद्धाओं को मार डाला जिनमें से प्रमुख जलसंधि, त्रिगर्तों की गजसेना, सुदर्शन, म्लेच्छों की सेना, भूरिश्रवा, कर्णपुत्र प्रसन थे। सात्यकि ने यादवों के झगड़े में कतवर्मा का सिर काट दिया था और वे भी मारे गए थे।

जयद्रथ- सिन्धु के राजा और धृतराष्ट्र का दामाद जयद्रथ महाभारत युद्ध में अभिमन्यु के चक्रव्यूह में फंसने के बाद दुर्योधन आदि योद्धाओं के साथ मिलकर उसका वध कर देता है तब अर्जुन सूर्यास्त से पहले जयद्रथ का शीश काटने की शपथ लेता है। श्रीकृष्ण अपनी माया से समय से पहले ही सूर्यास्त कर देते हैं। छुपा हुआ जयद्रथ बाहर निकल आता है तभी सूर्य दिखाई देने लगता है और अर्जुन तत्क्षण उसका शीश उतार देता है।

अश्वत्थामा- अश्वत्थामा कौरवों की ओर से लड़े थे। गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा के मस्तक पर अमूल्य मणि विद्यमान थी, जो कि उसे दैत्य, दानव, शस्त्र, व्याधि, देवता, नाग आदि से निर्भय रखती थी। यही कारण था कि उन्हें कोई मार नहीं सकता था। पिता को छलपूर्वक मारे जाने का जानकर अश्वत्थामा दुखी होकर क्रोधित हो गए और उन्होंने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर दिया जिससे युद्धभूमि श्मशान भूमि में बदल गई। यह देख कृष्ण ने उन्हें 3 हजार वर्षों तक कोढ़ी के रूप में जीवित रहने का शाप दे डाला।

दुर्योधन- कौरवों में ज्येष्ठ धृतराष्ट्र एवं गांधारी के 100 पुत्रों में सबसे बड़े दुर्योधन का शरीर वज्र के समान था, बस उसकी जंघा ही कमजोर थी। युद्ध के अंत में भीम ने उसकी जंघा उखाड़कर उसका वध कर दिया था। दुर्योधन के कर्ण की कभी नहीं सुनी। उसने हमेशा अपने मामा शकुनि की ही बातों पर ज्यादा ध्यान दिया। दुर्योधन का विवाह काम्बोज के राजा चन्द्रवर्मा की पुत्री भानुमति से हुआ था। दोनों के 2 संतानें हुईं- एक पुत्र लक्ष्मण था जिसे अभिमन्यु ने युद्ध में मार दिया था और पुत्री लक्ष्मणा जिसका विवाह कृष्ण के जामवंति से जन्मे पुत्र साम्ब से हुआ था।

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