Hindi, asked by golu5579, 2 months ago

महंगाई Jo Tumne ka naam Nahin Leti per anuchchhed likhiye​

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Answered by Animeshbhakat
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Answered by anjalivashisthvk2
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महँगाई महँगाई, महँगाई ! आज चारों ओर इस समस्या का ही बोलबाला है । वर्तमान कमरतोड़ महँगाई की जिस समस्या से आज हम सभी को जूझना पड़ रहा है, वह हमारी अपनी ही गलतियों का परिणाम है । यह बात सर्वथा निस्संकोच भाव से कही और मानी जा सकती है ।

आज के वैज्ञानिक युग में विभिन्न प्रकार के साधन एवं उपकरण उपलब्ध हैं जिन से सब प्रकार के आवश्यक उत्पादन बढाए जा सकते हैं । मानव-जीवन तथा समाज में एक व्यापक सन्तुलन बनाए रखा जा सकता है, फिर भी निरन्तर बढ़ती जा रही महँगाई की मार आम आदमी की कमर तोड़ कर रख देना चाहती है,पूछा जा सकता है कि आखिर क्यों ? इसका उत्तर है हर प्रकार का असन्तुलन । जितने खाद्य-पदार्थों का उत्पादन हम कर पा रहे हैं,जनसंख्या का अनुपात उस से कहीं अधिक है । निहित स्वार्थी और लोभ-लालच की प्रवृत्तियों का उस से कहीं अधिक मात्रा में विस्तार कर लिया गया है कि जितनी मात्रा मानव-जीवन के लिए स्वाभाविक एवं आवश्यक मानी गई है । योजनाओं का नियोजन इस प्रकार से इस अदूरदर्शिता एवं अबुद्धिमत्ता से किया जा रहा है कि उन का प्राप्त फल आम जन तक न पहुँच कुछ लोगों द्वारा बीच में ही हड़प लिया जाता है । जो पदार्थ एवं उपभोक्ता वस्तुएँ सरकारी नियंत्रण में हैं, सरकार उनकी मूल्य वृद्धि स्वयं ही लगातार करती आ रही है; फलस्वरूप बाज़ार में अन्य वस्तुओं के भाव और भी बढ़ रहे हैं । ऐसी दशा में महँगाई नहीं बढ़ेगी, तो क्या सस्ता होगा ? उस पर सरकारी-गैर सरकारी सभी प्रकार के राजनीतिक दलों की कुर्सी पाने की अनैतिक इच्छा और असन्तुलित दौड़ जनता को हर प्रकार से सुख-सुविधाएँ पहुँचाने, महँगाई घटाने के चुनावी नारे तो लगाती हैं ; परन्तु जिन के चन्दों के बल पर महंगे चुनाव लड़ती, जीतती या हारती हैं, उन पर कोई नियंत्रण नहीं रख पाती । इस प्रकार सरकारी नीति-संकल्प-विहीनता और मात्र चुनावी जीत पर ही रहने वाली दृष्टि भी कमरतोड महँगाई बढ़ाने या बढ़ने देने का एक बहुत बड़ा कारण है । क्या ही अच्छा हो यदि हम किसी भी चुनाव लड़ने वाली पार्टी को एक फूटी कौडी भी न दें।

महँगाई का सबसे अधिक प्रभाव श्रमिक वर्गों पर पड़ता है । मध्य वर्ग रिश्वत-भ्रष्टाचार के बल पर बढ़ती महंगाई से लड़ लेता है । अफसरों की राय वर्गों और व्यापारियों की पौ बारह हमेशा बनी रहती है । कमर उन की टूटती है तो रिक्शा-तांगा चला कर, दिहाड़ी पर काम करके, दुकानों-फैक्टरियों में काम ज्यों-त्यों जीविका चला रहे होते हैं । असंगठित होने के कारण ऐसे लोगों का हाल पूछने वाला कोई नहीं होता ।

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