Physics, asked by sanjaypahal1987, 1 month ago

महंगाई की मार झेलता आम आदमी पर अनुच्छेद लिखिए​

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Answered by stushradha
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Answer:

महंगाई को लेकर इस देश के विद्वान एकमत नहीं है । मूंडे मूंडे मति भिर्न्ना। इस कारण यहां अनेक थ्योरियां प्रचलित है। भारतीय दर्शन शास्त्र में पंच महाभूत बतलाएं गए हैं- हवा, पानी, आग, पृथ्वी तथा आकाश। कुछ विद्वानों के मतानुसार महंगाई भी एक तरह से भूत हैं अत: इसका स्वरूप हवा जैसा है। जिस प्रकार हवा सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में मौजूद है, ठीक उसी प्रकार महंगाई चप्पे-चप्पे में व्याप्त है। जिस प्रकार हवा को सिर्फ महसूस किया जा सकता है, उसी प्रकार महंगाई का केवल अनुभव किया जा सकता है, जबकि कुछ विद्वानों के अनुसार महंगाई, रंगहीन, गंधहीन नहीं होती। महंगाई को देखा जा सकता है। इसके प्रभाव से मिर्ची लाल हो जाती है और हल्दी पीली पड़ने लगती है। इसका प्रभाव विशेषकर कमर पर होता है। अत: इसकी इस मारक शक्ित को सूचकांक के पैमाने पर नापकर अध्ययन तथा विश्लेषण किया जा सकता है। महंगाई के बारे में आम धारणा है कि वह ढीठ होती है। महंगाई क्यों बढ़ती है, आज तक कोई समझ नहीं पाया। सरकार को महंगाई की सेहत और गति की खासी चिन्ता रहती है, पर वह सरकार की बिगडै़ल बहू जैसी रत्तीभर भी परवाह नहीं करती। सरकार उसके कद को रोकन के लिए घोषणाएं करती है। सरकार कहती है कि वह महंगाई पर लगाम लगाएगी। अब आप ही बताइए कि महंगाई कोई घोड़ी है, जिस पर लगाम कसी जाए। सरकार के इस रवैए से महंगाई चिढ़ जाती है। कई बार सरकार महंगाई से सीधे-सीधे अपील भी करती है पर महंगाई के कानों में जूं तक नही रेंगती, ढीठ जो ठहरी। विपक्षी दलां को बहुत भाती है महंगाई। महंगाई की भरी-पूरी सेहत देख कर उनकी बांछें खिल जाती हैं। महंगाई उन्हें बयान देने, सदन में बोलने और टेलीविजन की खबरों में आने का अवसर देती है। खासतौर पर इलेक्शन इयर में महंगाई का चढ़ता ग्राफ देख कर कुछ विपक्षी मारे खुशी के पागल हो उठते हैं। महंगाई आम आदमी को भले ही कष्ष्ट देती हो, लेकिन विपक्ष वालों को इसमें अवसर दिखाई देता है। वे इसको ऐसे मुद्दे की शक्ल देने में भी माहिर होते हैं, जो मतदान को तेवर देता है। महंगाई की उन्नति में गरीबी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। झुग्गी -झोपड़ी में बड़ी आसानी और तेजी से बढ़ती है महंगाई। गरीबों से अच्छी पट जाती है महंगाई की। कुल मिलाकर महंगाई नानसेंस चीज होती है, इसलिए हम उसे घर में घुसने नहीं देते। हांक देते है, झोपड़पट्टी की तरफ।

Answered by krishna210398
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महंगाई की मार झेलता आम आदमी पर अनुच्छेद लिखिए​

Explanation:

मँहगाई या मूल्य वृद्धि केवल एक सामाजिक समस्या ही नहीं वरन एक आर्थिक समस्या भी है । आज विश्व बाहरी तौर पर हमें महान भले ही मान रहा हो, गाँधी के नाम की माला को जप रहा हो किन्तु वह हमारी आन्तरिक दुर्बलता से भली- भाँति परिचित है ।

वह है हमारी व्यवस्था तथा शासन में आर्थिक अनुशासन की कमी जिसका परिणाम हमें मँहगाई के रूप में देखने को मिलता है । इस मूल्य वृद्धि से जनजीवन बहुत ही त्रस्त हो गया है ।

आज का प्रत्येक विक्रेता अधिक से अधिक लाभ कमाने के चक्कर में है, यदि किसी वस्तु के भाव की वृद्धि का तो तुरन्त विक्रेता पहले से दुकान पर वर्तमान वस्तु के दाम एकदम बढ़ा देता है, जबकि नवीन वसुर यदि महँगी खरीदे तो उसे अधिक मूल्य पर देनी चाहिए । परन्तु पुरानी वस्तु को उसे पिछले भाव – में देना चाहिए ।

कभी-कभी तो बढ़े मूल्य से भी अधिक मूल्य पुरानी बस्तुओं पर वह ले लेता है, यही अधिक लाभवृत्ति ही मूलय वृद्धि कहलाती है । ये कारण एक नैतिक कारण है । जिससे मँहगाई फैलती है किन्तु एक दूसरी वजह सरकार का व्यापारियों पर अन्धाधुन्ध कर लगाना तथा अफसरशाही द्वारा व्यापारी वर्ग को परेशान करके घूस के रूप में पैसा खींचना ।

तंग आकर व्यापारी वर्ग के सामने मूल्य बढ़ाने के अतिरिक्त कोई रास्ता नहीं रह जाता । जो इम्पोर्टर हैं (आयातकर्त्ता) उनके माल पर इतना सीमा शुल्क लगा दिया जाता है कि वे भी बाजार में वस्तुओं के दाम बढ़ाने के लिये मजबूर कर दिये जाते है ।

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